भगवान गौतम बुद्ध | Bhagvan Gautam Buddha

Bhagvan Gautam Buddha by चन्द्रिका प्रसाद जिज्ञासु - Chandrika Prasad Jigyasu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कद नमो तलस भगवतो अदतो सम्मरा संबुद्धस्स यो. सन्निसन्नो घर बोधिसूठे मार ससेन॑ महर्ति विजेत्वा; सम्बोधिमागन्छि अनन्तज्ञानो छोकुत्तमों त॑ पणमामि डुद्धम । अर्थ--जिन अनंत ज्ञानी पुरुपोत्तम ने पवित्र बोधिवृश्न के नीचे विराजमान हो बहुत बड़ी सैना के सहित मार को जीतकर सम्यक्‌ ज्ञान छाभ किया है, उन भगवान्‌ सम्यक संबुद्ध को मैं प्रणाम करता हूँ । अद्दड्िंको अरियपथों जनानां मोक्खप्पवेसायुजुको व मग्मो ; घम्मो अय॑ सन्तिकरो पणीतो नीय्याणिकों त॑ पणमामि धम्सस । अर्थ--उजो आय अष्टांगिक मार्ग से विशिष्ट, सब छोगों के मोक्ष प्राप्त करने का सीधा मार्ग, परम शांतिदायक, अतिश्रेष्ठ और निर्वाण में छे जानेवाला है, उस परम पवित्र धर्म को मैं प्रणाम करता हूँ । संधो विएद्धो वर दुक्खिनेय्यो सन्सिन्दियों सब्बमठप्प्टीनो ; गुणे हिं नेकेहिं समिद्धिपत्तों अनासवों ते॑ पणमामसि संघन्ु । अर्थ--जजो परम पवित्र और दान करने के लिये अति श्रेष्ठ पात्र है, जिसकी इंद्रियाँ शांत ओर जो सब प्रकार के पाप-मढों से होन है, जो अनेक दिव्य शु्णों से विभूषित और आसव ( वृष्णा ) से रहित है, उस परम पावन संघ को मैं प्रणाम करता हूँ । बुद्ध दारण गच्छासि घम्परे शरणं गच्छामि संघं शरणं गच्छामिं




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