सहकारी खेती | Sahkari Kheti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
95
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about एडस्सेरी गोविन्दन नायर - Edasseri Govindan Nair
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्ड
सहकारी खेली
सकती है । इस हालत में मेरे लिए यह सम्भव है कि प्रस्तुत
नाटककार के झाधिक झादशं से सहमत हो जाऊँ । मगर इससे
नाटक का मुल्य घटता नहीं । सत्य को जैसे संभाव्य बनाकर
प्रदर्शित किया जाता है, व से ही सं भाव्य को सत्य बनाकर प्रदशित
करना उत्कृष्ट साहित्य का लक्षण है । श्रच्छा होता यदि पूँजीवाद
स्वयं भ्रपने को बरखास्त करे, झ्राथिक प्रतियोगिता से अधिक
सहकारिता में परिवतंन मजबूरी या रक्त-पात के बिना ही
संभव हो । इडस्सेरी-जेसे श्राद्यावादी लोगों को इसकी चेष्टा
करने दें । भले ही कोई भौतिक उपलब्धि न हो, इतना फ़ायदा
तो होगा कि उनकी इस चेष्टा से संघर्ष से घूमिल इस दमघोटू
वातावरण में थोड़ी-सी ताजी हवा के बहने में सहायता मिले ।
शायद “कहाँ पहुँचे' सवाल की तरह “कैसे पहुंचे” सवाल का भी
मुख्य स्थान है। इसलिए ईमानदारी के साथ अ्रहिसा के सिद्धान्त
पर विद्वास करते हुए किया जाने वाला कोई भी का।यं स्वागताह
होगा ।
मेटरलिक के इन वाक्यों की उद्धुति के साथ अब इस भूमिका
को समाप्त करता हूँ “यह महत्त्व की बात नहीं कि कोई
नाटक निष्क्रिय है या सक्रिय, प्रती कात्मक है या यथार्थवादी ।
बल्कि उसका महत्व इसमें है कि कया वह सुचिन्तित है,
सुलिखित है, मानव-सहज है--हो सके तो श्रतिमानवीय भी--
उस दाब्द के संपूर्ण भ्रथ॑ में। बाकी सब बातें निरा बातुनीपन
हैं।” मैं झभिमान करता हूँ कि ऐसे ही एक नाटक का मैं प्र स्तोता
बन सका ।
२०-१२-४४ _.-एन० वी० कृष्ण वारियर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...