रयणसार | Rayanasar

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Book Image : रयणसार   - Rayanasar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छ््स्ल्डं जाता हैं और जो सुपात्र में चार प्रकार दान देता हैं चद्द दान के फलसे निलोक में सारभूत उत्तम सुखों को मोगता है । दाणं भोयणमेत्तं दिरणट धरणो इवेड सायारो। . पत्तापत्तविसेस॑ संदस् कि. वियारेण ॥१४। दोने भोजन मात्र दत, होत धन्य सागार । पात्र अपात्र विशेष सठ, दरशन कौन विच१र ॥१५॥। *. झर्थ--मोजन ( आदर दान ) दान म.त्र देनेसे दी श्रावक घन्य कहलाता है पंचाश्रय को प्राप्त दोता है, देवताओं से पूज्य होता है एक जिनलिंगको देखकर आदार दान देना चाहिये। जिनलिंग घारण करने पर पात्रापात्र की परीक्षा नहीं करनी चाहिये | भावाथ --सर्वश्रकारके परिग्रद और आरंमरहित नग्न दिगम्बर जिनलिंगको धारण करनेदाले मुनीश्चरों को श्रादार- दान देनेके प्रथम यदद विचार करना कि ये मुनीश्वर द्रव्यलिंगी हैं या मावलिंगी हैं जत्र तक पूण परीक्षा न हो जायेगी तब. तक इनको आहार नहीं देना चाहिये अथवा जिनलिंग घारण : करनेवाले वीतराग निग्रन्थ धुनीश्वरों की परीक्षा कर आाद्ारदान . को अच्तति करना आदि समस्त विचार सम्पर्दष्टिके लक्षण से . विपरीत भाव समकने चाहिये | - .... परम -निष्पद-वीतराग-झारंम परिग्रह रदित मुनीश्वरों के 'छिद्र देखना, अपनी बुद्धि और ' तक के द्वारा. जिनलिंग के




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