दवद्षानुप्रेक्षण | Davadshanupreksha
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
368
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न नैप्रे --
गाया संख्या विषय पू्ठ संख्या
ड७० निरविचार एक भी न्रत पालनेवाला इंद्र दोता है २४४
इ७१,; ३७२. तीसरी सामायिक प्रतिमा रछ्घ
३७९३ से ३७६ प्रोषघप्रतिमा का स्वरूप म्ध्प
ड्७ प्रोपघका माद्दात्म्य सूशु०
.दु७८ कारंभ आदिके त्याग बिना उपवास करनेसे
क्संचिजंरा नददीं दोठी हैं २४०
३७६ से ३८१ सचित्तत्याम प्रतिमा २४१
इठर, इन३ रात्रिमोजनत्याय प्रतिमा २५
डेप न्रह्मचयें प्रतिमा रण
इ्ट छारंभविरतिं प्रतिमा र््श
इ८द, इठ७ परिम्रदृत्याग प्रतिमा नकद
इच्प, रेप थनुसोदनविरवि प्रतिमा रण
झु६० उदि्ट्रविरति श्रदिमा रद
कि अंदसमयमें झाराघना करनेका फल २४९
द्ह्र् मुनिधमंका व्यास्यान २६३
इयर दस प्रकार के घर्सका वणुव २६३
य्९छ उत्तम कमा रघ्छ्
९६४, उत्तम मादूव र६ध
३९६ उत्तम श्राजंव २६६
३६७ उत्तम शौच २६७
दर्द उत्तम सत्य रघ्द
३९६ चत्तम संयम रे
४०० उत्तय तप ७४
०१ उत्तस त्याग - ७६
४०न उत्तम शाकिचन्य ७७
० उत्तम न्नह्मचयें र७७
'द०्छ दुसक्क्षणरूप घ्सें दै, दिंसा घ्स नहीं है... २८०
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