पुरुषार्थसिद्धोपय | Purusharthasiddhupay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१३ ) कर जैनधर्म भूषण ब्रह्मचारी शीतलमसाद जी के पास संशोधन के (लिये भेजा- उन्हों ने कृपाकर अपना वदुमूल्य समय देकर इसे आद्योपांत देखकर हमें उपकत किया इसके लिये हम उनके अत्यन्त आभारी हे। मैं विद्वान नहीं हूं। मैं ने इस ग्रेथ के सम्बन्ध में कोई भी वात अपनी ओर से नहीं लिखी है, केवल भक्तिभाव और जिन वाणी प्रचार से ही प्रेरित होकर इस ग्रन्थ को इस रूप में लिखा है, यदि कोई च्ुटि व अद्द्धि हो तो विशेषज्ञ मुझे बुद्धि दीन तथा अल्पज्ञ जान क्षमा करें और पाठ को संशोधित कर पढ़ें । . मैं अपने मित्र वा० छालचन्दजी तथा वावू नानकचंदजी रोहतक का भी आमारी हूं जिनकी सत्सद्धति तथा मेरणा से मुझे इसके लिखने का अवसर मराप्त हुआ । श्रीमान प० नायूराम जी मेमी की टीका को इस ग्रन्थ के लिखने में मेंने खूब ही स्वतन्त्रता पूर्वक काम में लिया हे इसके लिये दम उनके चिरऋणी रहेंगे । अंत में अपने परममित्र श्रीमाद पै० आजितप्रसाद जी « -.77:. 9.'ऐडवो- केंट, (जिनकी समाज सेवा तथा धर्म प्रेम से समाज भली भांति पारोचित है ) को धन्यवाद दिये बिना नददीं रह सकता हूं। कि जिन्होंने अपने धट्टमूरय समय की परवाह न कर इस ग्रेथ को छपवाने का पूरा भार अपने ऊपर लिया तथा शिक्षापद माक्षधन लिखकर ग्रंथ के मदत्व को बढ़ाया । उन उदार जिनवाणी भक्त मद्दाचुभावों का भी अति आगभारी हूं कि जिन्होंने उदारता पूर्वक अपना द्रव्य देकर इस ग्रैथ के प्रकाशन में हाथ घटाया है--उनके झुभ नामों की सूची ग्रेथ में लगादी है । रोइतक उग्रसेन जैन (गोहाना निवासी) झुतपश्चमी २४५९ 8, 3, 1. 7: ४., चकील, रोहतक




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