जीना सीखो | Jeena Seekho

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : जीना सीखो  -  Jeena Seekho

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

देसराज - Desaraj

No Information available about देसराज - Desaraj

Add Infomation AboutDesaraj

मन्धर्व - Mandharv

No Information available about मन्धर्व - Mandharv

Add Infomation AboutMandharv

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
६ रखना चाहिये कि श्राप की बात चीत अन्य व्यक्ति के मानसिक भुकाव, उसकी शिक्षा और उसके स्वभाव के झजुसार हो। काव्य से प्रेम करने वाले व्यक्ति के सामने निरुक्त और देन की बातें करना बड़ी भारी भूल है। अमरीका मे एक व्यक्ति बहुत स्व प्रिय था । उसका यह नियम था कि जब कभी उसके घर कोई अतिथि आने वाला होता तो वदद एक दिन पहले उस विषय का झष्ययन करता जिस में उस अतिथि को दिलचस्पी हो | यदि आप का साथी आपकी बात चीत में दिलचस्पी प्रगट नहीं करता, उसमें उत्सुकता के चिन्द्द दिखाई नहीं देते और वह बे-दिली से 'हूँ हाँ किए जा रहा है, तो आप को समभाना चाहिए. कि आप उसके मन की रुचि से परिचित हैं। वार्तालाप कला मे प्रवीण व्यक्ति वात चीत के दौरान सदा अन्य व्यक्ति की भावनाओं और उसके संस्कारों का ध्यान रखता है। जेसे दी उसको महसूस होता है कि उसकी किसी बात का उसके साथी के मुख पर बुरा प्रभाव प्रकट हो रहा है तो वद्द उसी समय बात का विषय बदल देगा। यदि किसी व्यक्ति को अपने जीवन के सुख और चैन से प्रेम हो तो उसे चाहिए कि भूठ बोलने से बचे और कभी कोई बात बढ़ा चढ़ा कर न कहें। चुग्ाली करने, दोष निकालने और ालो- चना करने की आदत से जहां गहरे से गहरे रिश्ते टूट जाते हैं; वहां यदद आदत सबं-प्रियठा, उन्नति और सफलता के लिये भी विष का काम करती हैं । किसी को भी इस श्रम में नहीं रहना चाहिये कि वद्द अपने साथियों की चुराली करने, अपने अधिकारियों के दोष निकालने और अपने .मातहतों की आलोचना करने के वजूद भी एक अच्छा मित्र, अच्छा कमंचारी या एक अच्छा अधिकारीः बन सकता दै। अनेक बार एक सौन-दृष्टि सदाजुभूति पूणणं व्यवहार, किसी एक के साधारण दोष को छुपाने




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now