भारत में विज्ञान | Bharat Me Vigyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 शारत में विज्ञान की कमी नहीं थी। कमी थी तो केवल साधनों की थी। विदेशी नीतियों के कारण हम उन्नति कर नहीं पाये थे। विज्ञान के विकास मे अंग्रेजों ने योगदान न देकर उसे पिछड़ेपन की ओर ही ले जाने का प्रयास किया था । आजादी से पहले सुई जैसी छोटी सी वस्तु का हमें आयात करना पड़ता था लेकिन आज हम ऐसी बहुत सी वस्तुओ का निर्वात कर रहे हैं। आज भारत को स्वतंत्र हुए लगभग 50 वर्ष से थोडा कम समय हुआ है इतने समय में देश मे विज्ञान और तकनीकी का चौमुखी विकास हुआ है। आज हरित क्रान्ति और श्वेत क्रान्ति के परिणामस्वरूप देश में अनाज और दूध की कोई कमी नहीं है। देश में रेल हवाई जहाज बस ट्रक कार मोटर साइकिल और न जाने यातायात की कितनी मशीनें बनने लगी है। विद्युत उत्पादन केन्द्र तेल शोधक कारखाने धातु निष्कासित करने वाले कारखाने बन गये हैं। हिन्दुस्तान मशीन टूल्स भांति-भाति की मशीनों का निर्माण करके देश को मशीनों में आत्मनिर्भर बना रहा है। बैल सैल बहल आदि में इलेक्ट्रोनिकी और विद्युत की अनेक मशीनें बन रही हैं। आज हम सागरों की अतल गहराइयों से लेकर पर्वत की महान ऊंचाइवों तक जा पहुंचे हैं। देश में बने सकेट उपग्रह और अन्तरिक्ष यान अन्तरिक्ष में घूम रहे हैं और संचार व्यवस्थाओं में योगदान दे रहे हैं। देश की रक्षा के लिए आज हमने भांति-भांति के गोला-बारूद टैंक तथा मिसाइलें बना डाली हैं। आज हम केवल जल और ताप द्वारा विद्युत उत्पादन करने में ही सक्षम नहीं हैं बल्कि परमाणु विखंडन द्वारा भी विद्युत पैदा कर रहे हैं। आज भारत अनेक क्षेत्रों में विश्व के गिने-चुने राष्ट्रों की गिनती में आ गया है। दिन प्रतिदिन हम प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते जा रहे है। देश में विज्ञान और तकनीकी की जो उन्नति आज हमें दिखाई देती है वह सब पंडित जवाहरलाल नेहरू की दूरदर्शिता और योजनाओं का परिणाम है। पंडित नेंहरू की दूरदर्शिता विज्ञान के क्षेत्र में बहुत अधिक थी। भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्रिरा गांधी राजीव गांधी और दूसरे नेताओं ने देश को आगे बढ़ाने में विज्ञान तथा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन देने में भरपूर सझयता दी




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