प्राचीन भारत की दण्डनीति | Prachin Bharat Ki Dand Neet

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Prachin Bharat Ki Dand Neet by योगेन्द्रनाथ बाग्ची - Yogendranath Bagchi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about योगेन्द्रनाथ बाग्ची - Yogendranath Bagchi

Add Infomation AboutYogendranath Bagchi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
नाक्कथत श्३े हि दास्त्रकारों का सिद्धान्त है । मिताक्षराकार ने धर्म युद्ध को भी श्रर्थेक्षास्त्र का विषय समझने में भूल की है । इस ग्रथ के चतुर्थ परिच्छेद से इस पर जो सुदृढ़ विचार किये गये हे वे श्रदृष्ट पुर्व हूं । हमारे ध्यान से इन विचारों को विशेष रुप से श्रच्छी तरह जान लेने पर हिसा श्रौर प्राहिसा का झगड़ा सदा के लिये मिट जायगा । इस ग्रथ को पढ़ने पर राजधमसं के सम्बन्ध से निर्मल ज्ञान प्राप्त हो जायगा, इतना हो नही, बल्कि अधिक समय से जो भारतीयों में राजघ्म की उपेक्षा के कुसंस्कार श्र श्रम पंदा हो चुके हे, वे दूर हो जायेंगे। श्र देश रक्षा के विषय में देशवासियों की नवीन चेतना स्वस्थ श्र समाहित होगी । शझ्ाज भारतवर्ष की सवीन परिस्थिति में भारत रक्षा और प्रजापालन का भार देशवासियों पर ही निर्भर है । क्या नवीन क्या प्राचीन सभी पद्धतियों में शिक्षित विद्त्ससाज के काव्य, नाटक, दर्शन थ्रादि में पूर्ण व्यृत्पत्ति प्राप्त कर लेने पर भी श्रनेको का श्र्थज्ञास्त्र से भ्रपरोक्ष था प्रत्यक्ष कंसा भी ज्ञान कुछ भी नहीं है। इस प्रंथ को पढ़ कर नीति के सभी ग्रथो के अ्रनुशीलन में सुधी समाज प्रेरणा प्राप्त करेगा और इससे देवा के कल्याण का मार्ग खुल जायगा । इति-- स० १३५६, ७वाँ झ्राषाढ । श्रीसातकड़ि मुखोपाध्याय




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now