देव -दूत | Dev - Dut
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
808 KB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शी
[१२]
जिस भारतमें भ्रूप तुम्हारा
देवराज भी जाता है,
भिक्षुक सा जाकर वह उसके
आगे कर फेलाता है ।
फिर क्यों हिचकोंगे निज मनमें,
जानेसे तुम देव, वहाँ,
नरदेवोंके देव मिलेंगे
तुम्हें विज्ञ भूढेव वहीँ ॥
(१३)
हाँ पर जानिके पहले तुम
कर लो हिन्दीका अभ्यास,
क्योंकि उसीमें करना होगा
तुम्हें हदयके भाव-विकाशा ।
भारतके वह सब भागोंमें
बोली, समझी जाती है
इससे वहाँ राष्-भाषा भी
देव, वही कहलाती है ॥
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