देव -दूत | Dev - Dut

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Dev - Dut  by रामचरित उपाध्याय - Ramcharit Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शी [१२] जिस भारतमें भ्रूप तुम्हारा देवराज भी जाता है, भिक्षुक सा जाकर वह उसके आगे कर फेलाता है । फिर क्यों हिचकोंगे निज मनमें, जानेसे तुम देव, वहाँ, नरदेवोंके देव मिलेंगे तुम्हें विज्ञ भूढेव वहीँ ॥ (१३) हाँ पर जानिके पहले तुम कर लो हिन्दीका अभ्यास, क्योंकि उसीमें करना होगा तुम्हें हदयके भाव-विकाशा । भारतके वह सब भागोंमें बोली, समझी जाती है इससे वहाँ राष्-भाषा भी देव, वही कहलाती है ॥




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