श्री ज्ञानेश्वर चरित्र | Shree Gyaneshwar Charitra

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Shree Gyaneshwar Charitra by संत ज्ञानेश्वर - Sant Gyaneshwar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीज्ानेश्वरकालीन महाराध्र दे सम्प्रदायका जयजयकार सम्पूर्ण महाराष्ट्रेमें होने ढगा उस भागवंत- धर्म-सम्प्रदायका किश्चित्‌ अवलोकन करना भी उचित ही होगा । इस प्रकार ज्ञानेशखर महाराजके समय राजनीति, विद्या और. धर्ममें मह्दाराट्र कितना उन्नत हो रहा था यह एक वार विहज्ञम-दृष्टिसे देख लें । ज्ञानेश्वरका समय महाराष्ट्रके इतिहासका सुवर्ण-युग है । (१) राजा ओर राज्यविस्तार ( देवगिरिके यादव-राजा ) १-मिछम ( संवत्‌, १९४४-१२४८ ) २-जैतुगी उर्फ जैन्रपाठ ( संवत्‌ १९४८--१२६७ ) ३-सिंघण ( संवत्‌ डर ३०४) ४-जैतुगी उर्फ जैन्नपार | _ '५-कृष्णदेव उफ कन्हर .. प-महादेव ( संवत्‌ १३०४--१३१७) ':. (संवत्‌ १३१७-१३२८ ७-रामचन्द्र उफे रामदेवराव ( सबत्‌ १३२९८--१२३६६ ) ८-दाइरदेव ( संबत_ १ कद १३६९ ) ्‌ ९-दहरपाठ ( जामाता संवत्‌ १३७७५ में मारे गये ।




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