धीरे बहे दोन रे | Dhere Bahe Don Re
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
664
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२६ : धीरे चहे दोन रे **
लाते रहे । ज्योंही संदेशवाहुक लाल फ़ोजियों के नदी पार करने की
खबर लेकर भ्रपना घोड़ा दोड़ाता भ्राया, त्यों्ी स्टाफ़-हेडववार्टस में
कार्याचिकारी ने कुदिनोव श्ौर मेलेसोव को थुला भेजा 1 कार्रागिन्स्क्राया
रेजीमेंट की ठुकियाँ चोर्नी, गोरोसोचका श्रोर दुबरोवक। से बुलाई
गईं । प्रिगोरी मेलेसोव ने पूरी कार्रवाई की श्राम कमान संभाल लो ।
उसने तीन सौ तलवारवंद करज़ाक येरेन्स्की गाँव के सामने कोंक
दिए, ताकि दार्या वाजू मजबूत हो सके, धर प्रमर दुद्मन पुर्वे की ग्रोर
से व्येदोस्स्काया लेने की कोशिश करे तो तातारस्की श्रौर लेब्याज़ी के
कपज़ाक दुश्मन का घवका फरेलकर भ्रपने पर जमाये रह सकें । ग्रिगोरी
ने व्येशेन्स्काया के बिंदेगी स्वयंसेवकों को पश्चिम की त्तरफ़ रवाना
किया, वाज़की स्ववैड्न की मदद के लिए चिर-प्रदेश की एक सैदस
टुकड़ी भेजी, श्राठ मशीनगनें खतरे के इलाके में जमवाई श्रोर कोई दो
बजे सवेरे घुइ्सवार फ़ोजियों की दो टुकडिंयाँ लेकर, खुद जंगल के
सिरे पर जा जमा भौर लाल फ़ोजियों पर हमला वोलने के लिए सुबह
का इन्तज़ार करने लगा |
दूसरी श्र ब्येदन्स्काया के स्वपंत्तेवकों की टुकड़ी ने जंगल मे काते
हुए, दोन के वाज़की वाले किनारे लक की मंजिल तय कर डाली । पर
सप्त-त्ूषि श्रासमान में चमकता ही रहा कि उसकी ट्ककर वाज़की के
पीछे हटते लोगों से हो गई । टुकड़ी के लोगों ने इन लोगों को भरलदी
से दुश्मन समभका, इसलिए कुछ देर तक इन पर राग वरसाई श्रौर फिर
माग खड़े हुए । व्पेदान्स्काया को चरागाह से श्रलगाने वाली चड़ी भ्लील
के पास पहुँचने पर इन्होंने हड़वड़ी में जूते-कपड़े किनारे पटके श्रीर तैर-
तैरकर उस पार पहुँचे । ग़लती जल्दी ही पकड़ गई । लेकिन लाल
कौजियों के व्येशिन्स्काया पहुँचने की खबर हवा की रफ़्तार से, घहुत
पहले ही हर तरफ फीली मिली । नतीजा यहू हुमा कि तहानों में छिपे
दारणार्थी गाँव छोड़-छोड़कर उत्तर की ठरफ़ भागे और हर जगह गदद
अफ़वाह फैलाते गये कि लाल फ़ौजियों ने दोन पार कर ली है, मोर्चा
तोड़ डाला है. ध्रौर व्येशेन्स्काया पर चढ़े चले जा रहे है ।
* .नम्िगोरी को स्वयंसिवकों के भागने की स्वर मिल गई शोर
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