हिंदी गध-मंजूषा | Hindi Gadhya Manjoosha

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Hindi Gadhya Manjoosha by मुंशीलाल शर्मा - Munshilal Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१-एक अद्ध त अपू्वे स्वप्न भारतेन्दु हरिश्चन्द्र [हिन्दी साहित्य के. आधुनिक, काल के प्रवर्तक भारतेन्दु बाब हरिदचन्द् का जन्म सम्बत्‌ १९०७ सं काशी में हुआ । बचपन सें ही. पिता का देहास्त हो गया; और स्कूली शिक्षा विशेष नहीं हुई। वयस्क होते ही इनकी रुचि कविता और देदभक्ति की ओर हुई। ३४ वर्ष की अत्पाय ही १७५ ग्रत्थ लिखे। नागरी . घप्रचारिणी सभा ने आपके अधिकांदा साहित्य, को . भारतेन्दु ग्रन्थावली और भारतेन्द नाटकावली में संग्रहीत किया ह।.. .. हिन्दी साहित्य में भारतेन्दु जी. का महत्त्व विद्षेष रूप से हिन्दी गद्य और .पद्य को भाषा का परिष्कार करने में है ।-उनकी भाषा में ब्जभाषापन, पंडिताऊपन, अरबीपन, उर्दूपन और खालिसपन नहीं हे । संस्कृत दाब्दों के रहने पर भी भाषा सुबोध और स्वतन्त्र सत्ता. लिये हुए है। दाब्दों की .काट-छांट के सिवा वाक्य-विन्यास को भी. आपने पसिजिंत किया ।. काव्य भाषा में जो दाब्द बोलचाल से.उठ गए थे उन्हें निकाला और जनता .के प्रचलित दाब्दों का प्रयोग किया । भाषा के संस्कार के साथ ही साथ भारतेन्दु ने हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा, एक नया सा प्रदान किया । यंग की आवश्यकता और मांग के अनुरूप नये विषय और नये भाव को प्रधानता दी । अतीत गौरव और देवा दुर्देशा का मे, क्षोभ और विषादपुर्ण स्वर भारतेन्दु के साहित्य में पहली बार मुखरित हुआ । पु




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