विकास की वर्तमान पद्धत्ति में गांधीजी के आर्थिक विचारों की सार्थकता | Vikas Ki Bartaman Padahati May Gandhiji Kay Arthic Vicharon Ki Sarkhata
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
65 MB
कुल पष्ठ :
169
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के
पा
वैरिस्टर की उपाधि और दक्षिण अफ्रीका जाकर वैरिस्टरी करने का
निर्णय किया ।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय व अन्य अश्वेत हिन्दुओं की स्थिति
को देखकर उनकी जीवन की दिशा ही बदल गयी और वे इस अन्य
_ के विरूद्ध संघर्ष करने का संकल्प लिया वहाँ उन्हकें अनेक प्रकार के
अत्याचार व अन्यायों का सामना करना पड़ा। एक बार वे प्रथम श्रेणी
में रेल यात्रा कर रहे थे वहाँ से उन्हें अग्रेजों ने स्टेशन आने पर गंतव्य
से पूर्व सम्मान सहित बाहर फेक दिया क्योंकि वे एक अश्वेत थे। इस
घटना ने उनके संघर्ष करने के संकल्प को और भी दृढ़ कर दिया |
इसी प्रकार अश्वेत लोगों को अपनी पहचान को प्रमाणित करने के लिये
पास या प्रमाण पत्र रखने पड़ते थे। इस अन्याय के विरुद्ध भी उन्होंने
संघर्ष किया और वहाँ के स्थानीय समाज व अप्रवासी भारतीय समाज
को जाग्रत कर एक जन आंदोलन खड़ा किया। अपने संघर्ष में वे
सफल हुये | थ क
वास्तव में गाँधी जी के जीवन की दिशा दक्षिण अफ्रीका से
ही बदली और यहाँ से ही वे अपने भौतिक सुखों को त्याग कर समाज
_ के लिये जीने का संकल्प कर आगे बढ़े । जब ब वे भारत आये तो उन्होंने
सम्पूर्ण भारत का दर्शन कर यहाँ वस्तु स्तु स्थिति व आत्मा को समझा और
उसके के पश्चात अहिंसा का मार्ग अपना कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद .
... गये। भारत की कुरीतियों को भी दूर करने के लिये वे सक्रिय रहे। इसी...
_ कारण वे महात्मा कहलाये।
भारत वर्ष का सबसे बड़ा दुर्गुण अस्पर्शता को चुनौती देकर...
ही .... उसे मिटाने में सफलता अर्जित की। उनके इन विचारों को व सफलता
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