देश - दर्शन | Desh Darshan (baramaa,sitambar - 1939, San’khyaa-4, Varshh-1)

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Desh Darshan (baramaa,sitambar - 1939, San’khyaa-4, Varshh-1) by प ० गमनारायण मिश्रा -Pt Gamnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भागों में देवदार और बांस के पेड़ होते हैं। देवदार से ही राल और तारपीन मिलती है । बरमा के अत्यन्त गरम और झत्यधिक वर्षा वाले प्रदेश में रबड़ के पेड़ उगते हैं । रंगून, टनासिरम और टौंगू के पास रबर के बहुत से बगीचे लगाये गये हैं । रबर के पेड़ के निचले भाग की छाल को काटकर प्याला रखने की जगह बना लेते हैं । खड़ का सफेद गाढ़ा रस इसी प्याढे में टपकता रहता है। फिर यह इकट्ठा कर लिया जाता है । ( १२ )




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