विद्यापति की पदावली | Vidyapati Ki Padawali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vidyapati Ki Padawali by बसंत कुमार माथुर - Basant Kumar Mathur

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बसंत कुमार माथुर - Basant Kumar Mathur

Add Infomation AboutBasant Kumar Mathur

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१० विद्यापति की पदावली (२) मनसिज स्‍ कामदेव । गेल > गमन किया । (४) भाव >> सत्ता, प्रभुत्व | परचार > प्रचार । मिन ८ भिन्न-सिन्न, श्रस्य । जन से व्यक्ति । रेल हैं दिया | (६) गौरव - गुरुता, भारीपन । पाद्योल > पाया, प्राप्त किया । के ने को | सीने चीख करके | श्रश्नोक न श्रस्य का, दूसरे का । (८) गोपतन्नगुप्त । मेल न हो गया | तन्हिक न उसको । लेल न ले लिया । (६) पाव नपाया है. प्राप्त किया है । घैरज ८ 'घीरज । (१२) पार बारापार । (२) जब दो व्यक्तियों में लड़ाई होती है तो तीसरे का काम बन जाता हैं। शेशव और यौवन को एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध में प्रबल देख कर कामदेव ने उस अज्ञात यौवना सुंदरी के शरीर में प्रवेश करके अपना ऑधिपत्य जमा लिया । (४) बाला के शरीर रूपी राज्य पर कामदेव का अधिकार हो जाने से * उसी की सत्ता का प्रचार होने लगा। नये राजा के सिंहासन पर बेठते ही जिस प्रकार राज्य कमंचारियों में परिवन हों जाते हूं उसी प्रकार कामदेव मे अपना अधिकार जमाते ही राज्य व्यवस्था में परिवर्तन कर डाला है आर शिनन-भिल्‍म ब्यक्तिथों (अंगों) को सिनन-शिनन अधिकार दे दिये हैं । (६) इस नवीन राजा का. ऑघिकार होते ही करटि की. गुरुता छधात न] भारीपन नितम्बां को द दिया गया । तर यह इस प्रकार फिया गया किं कोर को क्षीण करके उसके सार से दूसरे (नितम्बों) को रचना की गई । इसी भाव ! को लेकर कविवर बिहारी लाल ने कितनी सुन्दर उक्ति कही है :-- ' उ्यों-ज्यों जोबन जेठ दिन, कुच सिंत अति अधिकात | त्यौं-त्यों छिन-छिन कटि छया, छवि परतिसी जाति॥ (८) कामदेव के राज्यारोहण से पहिले शेशवावस्था। में बाला के शरीर में _..... हास्य प्रकट था और कुच अग्रकट परन्तु कामदेव ने राज्यभार संभालते हास्य को गुप्त रहने का झादेश दिया और कुचों को प्रकट होने की श्रज्ञा प्रदान की अर्थात प्रकट हंसी अब गुप्त हो गई और उसकी प्रकटता कुचों के बट में आई । (१०) इसी प्रकार पहिले चरण चंचल थे और नेत्र स्थिर परन्तु नवीन ....... रानाज्ञा से चरणों की चंचलता नेत्रों को मिली और नेत्रों की स्थिरता घरणों के *....... पहले पढ़ी ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now