प्रद्युम्नकुमारचरित | Pradyumna Kumar Charit

Pradyumna Kumar Charit  by श्री अमोलक ऋषि - Shri Amolak Rishi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हट थी वीतरागाय मम: टूर कर प्रयुम्नकुमारचारित (पुण्यकल्पद्ूम) प्रथम स्कल्ध मेगलाचरण बनलवीना-दीसकिलकिकीीकीाणा सकल कुशल-दाता प्रभो 1! नमूं चरण चित्त धार । जय जय श्रीजिनदेवजी, मंगल-मुद करतार ॥१॥ अरिहूंत सिद्ध आचायेंजी, उपाध्याय सब साध । लब्घिनिधि गौतम प्रभो ! दीजे सौख्य-समाध ॥1२॥। श्री गुरु दाता ज्ञान के, तारण-तरण जहाज । भाव-तिमिर मेरो हरयो, प्रणमूं तेहना फाय ॥३॥। मां श्रुतदेवी कर दया, दीज सन्मति सार । मम इच्छा परिपूर्ण कर, करूं पूर्ण अधिकार ॥४॥। एममणकाणणणताणा




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