संस्कृत नाटकों में प्रतिबिम्बित समाज एवम संस्कृति | Sanskrit Natakon Men Pratibimbit Samaj Evm Sanskriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
157
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कौ अभिव्यक्त करता है। !” इस संदर्भ मैं यह उल्लेखनीय है कि कतिपय संस्कृत नाटकों
मैं हतिह्ुधक का वर्णन नहीं प्राप्त हीता है। इस संदर्भ में वविशाखदत्त के म्रद्रा राक्षस
नाटक और भतभ्राति के उत्तररामर्चारतमू का उल्लेख किया जा सकता है।”० प्राचीन
. युनानी नाटकों मैं भी 1ठिदूधक की तरह कान शक पात्र मनौरंजन अधता हास्य के लिए
हीता है पितकी क्लाउन या पूल कहते हैं। प.
संस्कृत नाटकों की रक अन्य प्रसव पशेषता उनका प्ुखान्त होना है। नाच्ज
मैं लौकरंगन के साथ ही साथ सुखान्त हीने पर विशेष बल पदया गया है और उसमे
शान्ति और पुख-समाद्द की कामना मिलती है। यूनानी नाटक इसके विपरीत प्राय:
दुखान्त शत पुखान्त दोनी ही प्रकार के होते है।
संस्कृत नाटकों मैं अशिनय सम्बन्धी संकेत यधा-स्थान पदये जाते हैं, लैस
प्रकाशमू, स्वगतमू, अपवाररितमू, जनाफन्तकम आदि। संस्कृत नाटकों मैं इस बात पर
भी विशेष बल दिया गया है पक आशिष्ट, असुध्य और आअन्रुभ ट्रश्य रंगमंच पर डी
नहीं 1दब्ाये जाते हैंगजि-भोणन करना चुम्बन, आंगन युद्ध सतें म्त्य आद सै
सम्बान्धत ट्रश्य।
संस्कृत नाटकों का प्रदर्शन या आधिनय कातिपय विशिष्ट अवसरों पर हीता
था। इस प्रकार के अवसरों मैं उत्त्तव, पर्व, राजातिलक ,िवाह, पुत्र-जन्म आद
पुप्नुख अवसर है कजिनके-संमध नाटकों का आअशिनय ककया जाता था।
संस्कृत नाटकों की कॉातपय विशेषताओं का उल्लेख भरत मान के नाद्य शास्त्र
में पिलता है। अन्य तत्वों का फी स्तृत वर्णन धनंजय के दशह्पक और तिश्वनाध के
साहित्य दर्पण मैं प्राप्त होता है। धननंजय के अनुतार संस्कृत नाटक मैं वस्तृ, नेता
और रस ये तीन तत्त्त होते हैं। वस्तु वे तात्पर्य कथावत्तु वे है।*। कथा-_वस्तु को
आधिकारिक और प्रार्सीगिक इन दो भागों मे विभक्त फकया गया है।** आधिकारिक
कथातस्तु मुख्य कथा होती है, मैँसे रामायण मैं रामचन्द्र की प्रासंगिक कथा वत्तु वह
है गौण ही किन्तु पुष्य कथा का अंग हो, जैसे रामायण मैं सुम्रीव या शबरी की
कथा। ** प्रासंगिक कथा के पताका और क्करी दो उपभधेद फकये है। पताका
उस कथा कीं कहते हैं जी नाटक मैं तुछ कसा * प्रुकरी ए जैफॉट पूस॑ंगों या कधानको
को कहते हैं। जैते रामायण मैं शबरी की कथा।“*. कथातस्तु को एक अस्य ट्रॉध्ट
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