कश्मीरी और हिन्दी सूफी काव्य का तुलनात्मक अध्ययन | Kashmiri Aur Hindi Suphi Kavya Ka Tulanatmak Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
522
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला झ्रध्याय
(१) श्रालोच्यकाल की राजनीतिक परिस्थिति
क--झ्रालोच्यकाल में कइमीर की राजनीतिक परिस्थिति
कइमीर में इस्लाम का प्रभाव मुसलमान-राज्य के प्रतिष्ठापित होने से पूर्व
ही भ्रपना जोर पकडता जा रहा था । शक्तिशाली ज़मीदारो तथा राजाशो के
पारस्परिक श्राभ्यतरिक् सघष के कारण इस्लाम-ध्म का स्वागत होने के साथ-
साथ उसका प्रचार भी बढ रहा था ।' हिन्दू राजा निबंल एव गक्तिह्टीन बनते जा
रहें थे* और तभी चौदहवी दाताब्दी के श्रारम्भ में तुकिस्तान के क्रूर भर श्रत्या-
चारो तातार सरदार डुलचु ने कश्मीर पर श्राक्रमण करके श्रप्रत्याशित श्रर्ति-
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-एए हिस्ट्री ब्राफ कदमीर, पृथ्वी ताथ कौल (बामजई) मेट्रोपालिटन बुक
क० (प्रा०) लि०, दिल्ली, प्रथम सस्करण (सन् १६६२ ई०), पृष्ठ २-६ ।
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कदमीर, जे पी० फग सन, संनतौर प्रेस (सन् १६६१ ई०), पृष्ठ २४ ।
३. कइमीर इतिहासकारो ने इसका नाम जुलचू दिया है, द्रष्टव्य-कद्दीर, प्रथम
भाग, जी० एम० डी सूफी, यूनिवर्सिटी श्राफ पजाब, लाहौर (सन् १९६४८
ई०), पृष्ठ ११७ ।
जे० सी० दत्त ने इसका नाम डलच दिया है, द्रष्टव्य-किंग्स श्राफ कइमीर,
(सस्क़ृत कृतियों का श्रनुवाद), लेखक द्वारा स्वय प्रकाशित (सन् १८६८
ई०), पृ० १६ ।
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