कश्मीरी और हिन्दी सूफी काव्य का तुलनात्मक अध्ययन | Kashmiri Aur Hindi Suphi Kavya Ka Tulanatmak Adhyayan

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Kashmiri Aur Hindi Suphi Kavya Ka Tulanatmak Adhyayan by जियालाल हुन्डू- Jiyalal Hundu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला झ्रध्याय (१) श्रालोच्यकाल की राजनीतिक परिस्थिति क--झ्रालोच्यकाल में कइमीर की राजनीतिक परिस्थिति कइमीर में इस्लाम का प्रभाव मुसलमान-राज्य के प्रतिष्ठापित होने से पूर्व ही भ्रपना जोर पकडता जा रहा था । शक्तिशाली ज़मीदारो तथा राजाशो के पारस्परिक श्राभ्यतरिक् सघष के कारण इस्लाम-ध्म का स्वागत होने के साथ- साथ उसका प्रचार भी बढ रहा था ।' हिन्दू राजा निबंल एव गक्तिह्टीन बनते जा रहें थे* और तभी चौदहवी दाताब्दी के श्रारम्भ में तुकिस्तान के क्रूर भर श्रत्या- चारो तातार सरदार डुलचु ने कश्मीर पर श्राक्रमण करके श्रप्रत्याशित श्रर्ति- १, 16 91008डघ.101 0 6 प्र टा6्८0 फ़&8 ह्ाधघ.५19४ टि10118160, 95४ घा& 1ॉलिशघ् डिप08 घाएणड्ट पिट एण16785 00. घिााह. फ०फटापपा] ]811010105. -एए हिस्ट्री ब्राफ कदमीर, पृथ्वी ताथ कौल (बामजई) मेट्रोपालिटन बुक क० (प्रा०) लि०, दिल्‍ली, प्रथम सस्करण (सन्‌ १६६२ ई०), पृष्ठ २-६ । र.. वाह लिफतण 2105 990 96006 ए्ा08]8016 0 िडाए एीएट, कदमीर, जे पी० फग सन, संनतौर प्रेस (सन्‌ १६६१ ई०), पृष्ठ २४ । ३. कइमीर इतिहासकारो ने इसका नाम जुलचू दिया है, द्रष्टव्य-कद्दीर, प्रथम भाग, जी० एम० डी सूफी, यूनिवर्सिटी श्राफ पजाब, लाहौर (सन्‌ १९६४८ ई०), पृष्ठ ११७ । जे० सी० दत्त ने इसका नाम डलच दिया है, द्रष्टव्य-किंग्स श्राफ कइमीर, (सस्क़ृत कृतियों का श्रनुवाद), लेखक द्वारा स्वय प्रकाशित (सन्‌ १८६८ ई०), पृ० १६ ।




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