बृहत्स्तोत्र रत्नाकर | Brihatstotra Ratnakar

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Brihatstotra Ratnakar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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या जीर॥ उद्दत्स्तात्ररत्नाकर । अथ मज़ञ्ठमू । श्रीगणेशाय: नम: ॥ ॥ श्रीदयग्रीवाय नम ॥ ४ ॥ झुकांवरपरं विष्णु झाशिवण चतुमुजम्‌ ॥ प्रसन्- बढ़ने व्यायेत्सवविधोषशञांतये ॥ १ ॥ नारायण नमस्कृत्य नरें चेव नंरोत्तमम्‌ ॥ देवीं सरस्वती व्यास ततो जयंमुदीरयेत्‌॥ २ ॥ व्यासं वसिष्ठनतारं शक्ति पोत्रमकलमपम्‌॥ पराशरात्मजं वंदे झुकताते त- पोनिधिम ॥ ३ ॥ व्यासाय विष्णुरूपाय व्यास- रूपाय. विष्णवे॥ नमो वे ब्रह्मविधये वासिष्ठाय नमो नमः ॥ ४ ॥ अचंतुवेदनों ब्रह्मा द्विवाहुरपरो हरि ॥ अभाठठोचनः शंभुभगवान्‌ बादरायणः ॥ ८ ॥ ॥ अथ गणेशकवचपारंभः ॥ चर, ९ श्रीगणेशाय नमः ॥ गोयुंवाच ॥ - ॥ एंप5तिचप-




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