अध्यापक दर्शिका परिवेशीय अध्ययन | Adhyapak Darshika Pariveshiy Adhyayan
श्रेणी : गणित / Maths
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
499
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शिक्षक
- गंध वाले कुछ फूल और पत्तियाँ कक्षा में लाकर उनकी
गंध से बच्चों को परिचित कराएं और बिना देखे हुए
केवल सँँघकर उनका नाम बताने के लिए उत्साहित करें।
- बच्चों से पता करें कि रसोई में बन रही किस-किस सामग्री
का पता उन्हें गंध से लग जाता है। श्यामपट्ट पर लिख कर
'एक सूची तैयार करना उचित होगा।
- अनुगमन अभ्यास के लिए बच्चों को प्रेरित करें कि दैनिक
अनुभव के आधार पर वे सोचें कि अपने आस-पास की
किन-किन चीजों का पता उन्हें गंध से चल जाता है।
न अनेक पदार्थों का पता उनकी गंध
के आधार पर लगा लेते हैं।
शिक्षक
बच्चों को स्वाद के माध्यम से भी कुछ चीजों का पता
लगाने के लिए प्रेरित करें। इस क्रियाशीलन में इस बात
की सतर्कता जरूरी है कि बच्चे हर चीज को न चखनें
लगें। बच्चों के सामने बारीक पिसे हुए नमक, चीनी और
फिटकरी के नमूने प्रस्तुत करें और उन्हें देखकर तथा
सुंघकर पता लगाने के लिए कहें। स्पष्ट है कि बच्चे नहीं
बता सकेंगे। अब चखने के लिए कहें।
इसी तरह की अन्य सामग्रियों का पता लगाने के लिए
बच्चों को प्रेस्ति करें जिन्हें देख कर तथा सँँघ कर
पहचानना आसान नहीं है किन्तु चखते ही उनका पता लग
जाता है।
ना अनेक पदार्थों को उनके स्वाद के
आधार पर पहचानते हैं।
'टिप्पणी:
इसी संदर्भ में शिक्षक बच्चों को सोचने-समझने में
सहायता करें कि अपने परिवेश की जानकारी प्राप्त करने
के लिए, सभी ज्ञानेन्द्रियों का अपना-अपना महत्व है।
अतः सभी की देखभाल हमें ठीक से करनी चाहिए
जिससे वे स्वस्थ रहें।
अध्यापक दर्शिका: परिवेशीय अध्ययन
शिक्षक
- बच्चों के सम्मुख निजी स्वास्थ्य विज्ञान के सरल विचार
रखें। यहाँ इस बात का उल्लेख जरूरी है कि निजी
स्वास्थ्य संबंधी आदतें किसी निर्धारित अवधि में नहीं
सिंखाई जा सकती हैं। इसे विद्यालय के संपूर्ण कार्यक्रम
का अभिन्न आग बनाना चाहिए।
- यह सुनिश्चित करें कि बच्चे निजी सफाई संबंधी आदतों
का पालन करते हैं। जैसे नाखूनों को साफ तथा काट कर
रखना, हाथ ठीक से धोकर ही भोजन तथा पीने का जल
छूना, शौच के उपरान्त हाथ धोना। संभव है कि कुछ
बच्चे मल-मूत्र त्याग करने संबंधी स्थानों का ठीक से
उपयोग न कर सकें। ऐसे बच्चों की मदद करनी चाहिए।
- बच्चों से पता करें कि वे शौच के बाद हाथ किस चीज से
मलकर साफ करते हैं, भोजन करने तथा पीमे का जल
निकालने के पहले कौन-कौन हाथ धोते हैं। कक्षा में सभी
बच्चों के नाखूनों की जाँच सप्ताह में एक दिन अवश्य
करें।
- यह भी सुनिश्चित करें कि बच्चे पढ़ते, लिखते, बैठते
तथा चलते समय अंग स्थिति ठीक रखें (उचित आसन
का व्यवहार करें) ।
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