३१६० | 3160
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
436
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)्च
इंध मधु ते गबु अधना नाम गत स्थान खाये क्यूच्चूं छे, री रीतें था टिप्पसि!
स्ितिडासिड ने पुधनात्न४ चड्टिसि न्मॉच्ययन उरपा घल्ठनार सारे सेड़ म्यासमधथ बे 2
(२) खूणी . विशेषवश्प& . लाष्य नी. बूनानां गूदी-बमभग १० था. सदन!
लिचित अति, करे सेसबगीरना जडारभा मी थापी छे दनी साथ सरभानाशी झरपा स्व
बनते ण्तर्छ चीन पाते! साथ यूज भयुघरगाइनी, जध्धाणावुं परिशिष्ट न्ाप्यु छे ते स्थना-
इन गलती १६ शुद्धिनी नक पहेंयिका धस्छनार किदासुनी इष्टिसि तेनगत अाणकने
चेनन थाने इच्यारथुना नेध्ने थीघ उप ध्वी रीते चाइेों टरिडार थाथ छे मे र्नसुपा
ध्ठिनारेदी चष्टिमे, पास नयत्वु छे,
(3) टीका नर जवतरधु! जाप्यां छे णने मे जपतरत। नर्थानी सूनिष। पूरी पा
छू ते नमतरुनां द स्थान चूरे पा5तुं भरिशिष्ट संशे/घ5 विधतानी, दष्टिजि नहुग्ट हेपये थी छे,
(द) ४. 5 थी णपायिवी शन्धसुयि आाषांतसमां बपरायिश . प़े। नि. नागें।
विपरत अन्धगत विि शाधपानी रष्टिसि सास छैपयेएथी छ,
यजाजु भाषातिर खेरी रखणती थने असनन भापामां थुचुं छड वे वॉयितानत घिरी
नि्नासुने गर्थ सनन्तवानां बुखधी नी चती लाधन्तरती से पु जूणी छे ४ तेमां बस
थे हीड मेने! सेपूर्यू साशव चुनरुशित दिनो सापी रब के थे समेड रनतन अंधे हेव
तें। गुल चाय ठ सनाध्सीनीन बीघे निजता नी रहेती ने भगवान तेनसा
भजुनरना अपोत्तरि न. इथकररुपूर्णड बनना जाग ग्नव फे, अपातिरिभां गे भारिकापिड
श्छा भाप्या छे, गे र्श नि निया ूथाव। छे ने के इलपभक्षनी इलीसे। २१ धर्थ छे
ते नषातु परे रपट्ीडरथु धयेवुं दै।वाधी सात भूयवाज विना बह. सुगभ सन्यु छे मे
विशन निज्ास मा संति िन्पश। है।बाधी सोनी पिशेष शिया पु सताषाथ छे,
वेद, भौंड $ मेन जाहि मारतीव इस नामा ात्मा, भा, चुनम/ नम, परके।इ
रण विषयानी सर्या सादास्थु छे. तथी प्रा भारतीव बनती, शाजातें। ठैथ्यू भ्यास
अरनार खभ, थे, नी. उक्षाना विदयाधोनि $ ते विशे सशाधन इरी निमध लजनार हे। बटर
दिभीना इनिद्वारतें 5 सष्यापूथने था माप पुरतह हु डपयेगी भाडिनी । 3 तेबुं छ,
सनेड बेन अंधाणारिना डिर२४ थे. तनांवी डीमती साभभ्रीन। सशेघिड तेमपर
बेनपरपर। थीं, शासन सुताता मुनि श्रीपुर्युव्सित्यष्ने में छपायिल इर्भा बांधी बह
धनी सना उस्पा दिलति हरी तने इाणवपूवड सागी अस्तावना सतेवा चुछी गे सयना खा
परी छ तेनी भें हरेवी नॉधि सदिपनना भुधाणा नीथ रि्प॥ पुछी छापवार्भा लगी छे,
-सुभलाल
User Reviews
No Reviews | Add Yours...