भारत की चित्रकला | Bhart Ki Chitrakala Ac.2745
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
225
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झस्तर-बड्डी--सं० ( झस्तर+ बट्टी ) श्रस्तर, वदद मसाला
जिससे जमीन बाँधी जाय; बट्टी, उस जमीन के धघोंट कर बराबर
करने के लिये चिकने पत्थर को बड़ी |
अदम-कद--वि० श्रादमी की ऊँचाई के बराबर केई चित्र
वा मूर्ति |
झालेखन--सं० चित्रविन्याठ, छिखाई । क्रि० चित्र झंकित
करना |
उरेहना--क्रि० चित्र अंकित करना |
कलम--सं० गिलहरी की पूँछ के राएँ से बना आलेखन का
उपकरण ( ्रश ); श्रालेखन-शैली ।
कुनियाँ, कानियाँ--सं० किसी चतुध्केण कृति में चारों केने
का अलंकरण |
गेमूज्िका--सं० इस आकृति की---बेल । वबैल जब चलता
रहता दे तो उसके मूत्र का चिह्न उक्त आकार का पढ़ता है |
बैल-मूृतनी; बरद-मुतान ।
खेहरइ--सं० चेहरे की रंगत ।
ज्षमीन--सं० चित्र लिखने के लिये अस्तर को हुई उपयुक्त
सतह । क्रि० जमीन बाँधना, श्रस्तर लगाकर जमीन तैयार करना ।
कलक -सं० वह प्रधान रंगत (-श्राभा) जा समूचे चित्र
में व्याप्त है ।
टपरना--क्रि० पत्थर के टॉकी को चेट से खुरदरा बनाना |
तरह--सं० रचना-प्रकार, ालंकारिक अंकन (डिज़ाइन) ।
दम-खम--सं० जानदार--बिना दूटवाली, एवं गोलाई लिए--
बंकिम ( मूर्ति की गढ़न वा चित्र की रेखाएं ) ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...