कल्याण संछिप्त नारद-विष्णुपुराण अंक | Kalyan Sanshipt Nard-vishanupuran Ank
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
67 MB
कुल पष्ठ :
850
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
१४१-चट-पूजन ला ** पट ९
श्४२-वे ही शीराम हैं; वे ही श्रीकृष्ण है *.. फ७३
१४२-रय-यात्रा कं ५७७
१४४-प्रवाग-सज्भम खान के ५८१
१४५-डुरुभेत् हक *** ५८६
१४६-गरुड़को भगवदुर्गन * * ५८९
१४ >-रर्मिणी-पूजन नम *” पुर
श४८-गौतमपर शिव ऊपा . ””* ** ५९५
श४९-जैमिनि श्यपिपर शिव-कृपा ५९६
श५०-श्ूर्पियोंकों परधुरामजीरि दर्दन ** इूुल्१
$ ५४ -विश्वासिनरकी यन-रकषाय * * घ्ल्र्
*५२-श्रीगमजी घनुग तोड़ रदे इ घ्०्द्
६५ ३-वानरोरी सम्पातीसे भेट *** ट्द्०्ञ
#५ ८-सीताजीफी अधि परीक्षा *”* * ६०४
*५५-श्रीराम दरवारमें लच-झडाफा रामायग-गान ... ६ुल्४
१५६ -लध्मणजी दुर्वामा मुनिको रोक रे है. * ” ६०५
५८-विश्रामगाटमे सान चरनेसे विष्युलोकयी प्राप्ति ६०८
१५८-गोचर्थन घ्राप्मणक्ों भगवदुर्थन * दु्श
५०--चवुरो व्यामसुन्दरकें दर्यान * दुश्दू
+द०-मोहिनीका यमनामें प्रवेडा ** द्श्ड
इ६८-श्रीरृप्ण कक ** ६ ईद
( विप्णुपुराण )
*६ ८ -महपि पसदार जार मेनेयली * ६४५
* ६ ३-वारात भगवान आार प्रथिगीदेवी ६२४
* दे इ-सनकादिपर ब्रह्ाजीका कोप ६
“दे ५-सटयी उत्पत्ति है * ६३०
श६६-टस्ट्रपर दुर्वासाफा कोप * * ६3१
#६ 3-भगवान् विष्युफी देवताओदारा स्तुति... * ६२९
१६८-लभ्मीनीसा प्रादमाव घ््ध
१६ ९-घ्रुवका अपमान की *. ६३६
# ८ ०-माया माताद्यारा घुवकों मुलावा देनेका पयल ६३९
-मगवान् विप्णुसे देवतार्थोकी पुकार *. दुट्ड०
१७२-घुवको मगवददन.. ”* **. घुटड०
१७ ३-क्षपियोपर वेनका फोप ' *. धुड3
*७४-पुके शावमे चक्र चिट्ठ * ६४
*७५-मद्दाराज प्रथुसे प्रथिवी देवीकफी प्रार्थना घडप
१७६-दिरण्यकशिपुके चार पुत्र ** *** इुध७
१७७-टिरिण्यकफशिपुकी यन्न-गन्घवीद्धारा स्तुति **” ६४९
१७८-हिरण्यकणगिपुने गुरुपुत्रको प्रह्मादको पढानेको कहा ६४९
१७९-असुरोंके प्रहारसे प्रह्वादकी रक्षा * . घुए्०
१८०-सपासि प्रहमादकी रक्षा ”*” ** इुंएर
१८ १-टदायियोंसे प्रहमादक्री रक्षा *** ** ६५१
८रे-अपिसे प्रह्मादकी रक्षा ”* * दुए२
१८ 3-प्रह्वादजी दैत्यपपुत्नोको उपदेदादे रहे है. * द
१८ ४-विपेठे भोजनसे प्रह्वादकी रक्षा . दु५५
१८५-दिरण्यफशिपु शुरुपु्नोसे कृत्या उत्पन्न करनेको
कहता हैं * * ६५५
१८६-गुरुपुत्र प्रह्मादकों समझसाते द *** छुध्थ
इ८७-गुरुपुचोफी उत्पन्न की हुई कृत्या उन्हींगर टूट पड़ी ६५६
श८८-ऊँचे भवनसे फेकनेपर प्रह्मादकी रा... *” ६५८
८९-भगवानफे चकने दाम्बरासुरकी माया नष्ट कर दी ६५८
१ ९०-प्रद्वादजीका पितामे नम्रतापूर्वक निवेदन. ** ६५९
१९१-प्रह्मादको असुरोने बॉधकर स मुद्रमें डाल दिया ”* ६६०
१९२-प्रह्मादकें ऊपर श्ऱे-धड़े पहाड डाल दिये गये”” दूध ०
१९ २-प्रह्मवादको भगवानके दर्गन *. ६3
९४-देत्योकि राजसिंदासनपर प्रह्माट * घुध3
#*५-भगवान् अनन्त कप *** ६ु७५
१९६-यमराज अपने दूतकों भक्तका लक्षण बता रहे है ६९६
# ९७-विचारमम्न सोभरि मुनि * * ७१८
+९८-श्रीराम दरबार कर ** ७२२
+९९-पुर और ययाति * ७२६
२००-शिथुपालवघ हर ** ७३१
२० १-राजा आान्तनु इद्धको युवा बना देते थे ७३४
२०२-माता यगोदाकी बाय्यापर घालकृष्ण ७४३
२० २३-ऊथल-्रन्धन के * ७४६
२०४-कालि्यि-मर्दन ७४८
२०५-प्रलम्ब-वघ ड ** ७५०
२०६-गोविन्दामिषेक दे *** ७५३
२०७-मालीपर कृपा न *. छ५९
२०८-माठवृ-पिठृ-वन्दना कं ** ७६२
२०९-पृथिवीद्वारा कुण्डल-प्रदान * *** ७६७
२१०-वाणासुर-विजय कप * ७७२
२६ १-व्यासोपदेश *** ७८२
-न कर्ण
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