कल्याण संछिप्त नारद-विष्णुपुराण अंक | Kalyan Sanshipt Nard-vishanupuran Ank

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Kalyan Sanshipt Nard-vishanupuran Ank by श्री युगल सिंह जी -Shri Yugal Singh Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३ ) १४१-चट-पूजन ला ** पट ९ श्४२-वे ही शीराम हैं; वे ही श्रीकृष्ण है *.. फ७३ १४२-रय-यात्रा कं ५७७ १४४-प्रवाग-सज्भम खान के ५८१ १४५-डुरुभेत् हक *** ५८६ १४६-गरुड़को भगवदुर्गन * * ५८९ १४ >-रर्मिणी-पूजन नम *” पुर श४८-गौतमपर शिव ऊपा . ””* ** ५९५ श४९-जैमिनि श्यपिपर शिव-कृपा ५९६ श५०-श्ूर्पियोंकों परधुरामजीरि दर्दन ** इूुल्१ $ ५४ -विश्वासिनरकी यन-रकषाय * * घ्ल्र्‌ *५२-श्रीगमजी घनुग तोड़ रदे इ घ्०्द्‌ ६५ ३-वानरोरी सम्पातीसे भेट *** ट्द्०्ञ #५ ८-सीताजीफी अधि परीक्षा *”* * ६०४ *५५-श्रीराम दरवारमें लच-झडाफा रामायग-गान ... ६ुल्४ १५६ -लध्मणजी दुर्वामा मुनिको रोक रे है. * ” ६०५ ५८-विश्रामगाटमे सान चरनेसे विष्युलोकयी प्राप्ति ६०८ १५८-गोचर्थन घ्राप्मणक्ों भगवदुर्थन * दु्श ५०--चवुरो व्यामसुन्दरकें दर्यान * दुश्दू +द०-मोहिनीका यमनामें प्रवेडा ** द्श्ड इ६८-श्रीरृप्ण कक ** ६ ईद ( विप्णुपुराण ) *६ ८ -महपि पसदार जार मेनेयली * ६४५ * ६ ३-वारात भगवान आार प्रथिगीदेवी ६२४ * दे इ-सनकादिपर ब्रह्ाजीका कोप ६ “दे ५-सटयी उत्पत्ति है * ६३० श६६-टस्ट्रपर दुर्वासाफा कोप * * ६3१ #६ 3-भगवान्‌ विष्युफी देवताओदारा स्तुति... * ६२९ १६८-लभ्मीनीसा प्रादमाव घ््ध १६ ९-घ्रुवका अपमान की *. ६३६ # ८ ०-माया माताद्यारा घुवकों मुलावा देनेका पयल ६३९ -मगवान्‌ विप्णुसे देवतार्थोकी पुकार *. दुट्ड० १७२-घुवको मगवददन.. ”* **. घुटड० १७ ३-क्षपियोपर वेनका फोप ' *. धुड3 *७४-पुके शावमे चक्र चिट्ठ * ६४ *७५-मद्दाराज प्रथुसे प्रथिवी देवीकफी प्रार्थना घडप १७६-दिरण्यकशिपुके चार पुत्र ** *** इुध७ १७७-टिरिण्यकफशिपुकी यन्न-गन्घवीद्धारा स्तुति **” ६४९ १७८-हिरण्यकणगिपुने गुरुपुत्रको प्रह्मादको पढानेको कहा ६४९ १७९-असुरोंके प्रहारसे प्रह्वादकी रक्षा * . घुए्‌० १८०-सपासि प्रहमादकी रक्षा ”*” ** इुंएर १८ १-टदायियोंसे प्रहमादक्री रक्षा *** ** ६५१ ८रे-अपिसे प्रह्मादकी रक्षा ”* * दुए२ १८ 3-प्रह्वादजी दैत्यपपुत्नोको उपदेदादे रहे है. * द १८ ४-विपेठे भोजनसे प्रह्वादकी रक्षा . दु५५ १८५-दिरण्यफशिपु शुरुपु्नोसे कृत्या उत्पन्न करनेको कहता हैं * * ६५५ १८६-गुरुपुत्र प्रह्मादकों समझसाते द *** छुध्थ इ८७-गुरुपुचोफी उत्पन्न की हुई कृत्या उन्हींगर टूट पड़ी ६५६ श८८-ऊँचे भवनसे फेकनेपर प्रह्मादकी रा... *” ६५८ ८९-भगवानफे चकने दाम्बरासुरकी माया नष्ट कर दी ६५८ १ ९०-प्रद्वादजीका पितामे नम्रतापूर्वक निवेदन. ** ६५९ १९१-प्रह्मादको असुरोने बॉधकर स मुद्रमें डाल दिया ”* ६६० १९२-प्रह्मादकें ऊपर श्ऱे-धड़े पहाड डाल दिये गये”” दूध ० १९ २-प्रह्मवादको भगवानके दर्गन *. ६3 ९४-देत्योकि राजसिंदासनपर प्रह्माट * घुध3 #*५-भगवान्‌ अनन्त कप *** ६ु७५ १९६-यमराज अपने दूतकों भक्तका लक्षण बता रहे है ६९६ # ९७-विचारमम्न सोभरि मुनि * * ७१८ +९८-श्रीराम दरबार कर ** ७२२ +९९-पुर और ययाति * ७२६ २००-शिथुपालवघ हर ** ७३१ २० १-राजा आान्तनु इद्धको युवा बना देते थे ७३४ २०२-माता यगोदाकी बाय्यापर घालकृष्ण ७४३ २० २३-ऊथल-्रन्धन के * ७४६ २०४-कालि्यि-मर्दन ७४८ २०५-प्रलम्ब-वघ ड ** ७५० २०६-गोविन्दामिषेक दे *** ७५३ २०७-मालीपर कृपा न *. छ५९ २०८-माठवृ-पिठृ-वन्दना कं ** ७६२ २०९-पृथिवीद्वारा कुण्डल-प्रदान * *** ७६७ २१०-वाणासुर-विजय कप * ७७२ २६ १-व्यासोपदेश *** ७८२ -न कर्ण




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