श्रंगानाद | Shringanad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
45
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जल उठती रौरव अग्नि. सदा
तुम्हारे... हग..... उन्मेष
चलने. शत शतन्नियाँ लगती
चल-पठक दल अनिमेष में
है रुद्र प्रलयंकर अब जाग, जाग प्रचण्ड अभिषेक में ।
है देख रहा युग-विस्मय से, नव हर्ष के अतिरेक में ।
होता बंकिम श्र से. मीषणु
तमोरात्रि मं परिवत्तेन
जल. थल अ्म्बर में आलोइन
हाह्ाकार, नल वषणु
हे सैरव भयंकर अर जाग, जाग रे एक. जतेक में
सब 'जड़-वेतन रुपन्दित तुम में, तुम चिर सत्य प्रत्येक में !
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