ज्ञानेश्वरी | Gyaneshvari
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
802
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रघुनाथ माधव भगाड़े- Raghunath Madhav Bhagade
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हो ्बिठास्बर स्थानसूपारी उन घायर संघ, नयद्ूर
रे
भीग्येशाय नम
ज्ञानेखरी
पहला भध्याय
दे भोकार हे वेदों से ही ब्ॉनीय बादिस्प ! घ्मापफों नमस्कार
। श्ययं झाप ही अपने को लाननेदारे दे ध्यारमरूप ! अापका कय-
धपकफारो। (१) ह देन, में निश्त्ति का दास निवेदन करता हूँ,
मुनिए, आप दी (सचष्ल से शोर घुद्धि के प्रझ्नशित करनेहारे गयेरा
हैं। (९) ये शो प्पखिल वेद दें बददी आपकी सुन्दर मूर्ति दे । छ्मोर वैद
के झदार श्यापका निर्दोष शरीर हैं।. ( ३) स्पतियोँ झयापके झानयप हैं ।
शरीर के साथ देखिए हो झर्य टी सुन्दरता झ्यापके लादएय की शुति
है। (४) झठार पुराण झापफे मि-मूपय हैं, मरमेय गल् दें झऔर पढ़
रचना उनका कुन्दन दे। (५) उत्तम-पदु-शासित्य ध्यापका रैँगा हुझा
बस दे, सिसमें सोइ्त्यियास्र दी पम्ज्यत और महीन ताना-धाना दे ।
( इ) इंखिप, काम्प प्योर नाटऋ, शिनकों दूसते दी सानस्द अारचय
दोता दे, र्मकूम कऋरनेबाली ध्यापवी शुद्रपयिटयाँ दें। झपोर काम्य
माटरका का थे न पणिटर्यों की ध्वनि दै। (७) मेक प्रकार के
चत्त्वाय अगर उनकी छुशब्स्ता ाष्ट्ो तइ देयने पर अम तत्त्थायों के
प्तम पद उन काप्याइि परित्यां के लीच नबमक्तेवाले रल माततूम दोते
दें। (८) ब्पासादि अऋूपियों की पुद्धि संत्तता-सी सुदाती दे, और
असअऋ तेज इस मेस्पज्ना के पस्लय का अममाग-सा 'पमषता है।
(६) देस्यिप को पटुदुरन कदलाते दे बढ़ी ध्यापडी मुवोष हैं घ्योर
आओ मिन्न सिन्न मत दूँ वही घ्यापके राख दें। (१०) स्ंशाख्र कसा
है, न्यायसाप घंफए दि, चोर देदान्त झरपन्त मु मोइर् सेमा
शामता दे। (ऐप दाय में ला झाप हो ध्याप टूटा टुस्या दन्ख द्द
सो बा शिंदधां फ स्याण्रान से सणिदत दिये ुप बोट यत का संथज
है (१४) तथा को परदापक बार सता दे छो मद दी सन्घर रद का
नौ ग्रे साई दुनमडी दाग इनके
एिमवस्व ब शुभ हु प९ मेंट।
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