डिंगल कोष | Dingal Kosh

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Dingal Kosh by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डिंगल - कोप श्ध (२) कई स्थानों में पर्यीयवानी झव्दों का रुप एकबचनात्मक से बहुवचलात्सक वर दिया गया है । जप, तलवार के लिये-करवांगा, करवाठां _श्रादि * घोड़े के लिये--हयां, रेवेतां, साकुरां, ग्स्सों, जंग्मी, प्मंगां, मैवरां श्रादि ।* यह केवल मात्रा्ों की पूर्ति के लिये तथा लुक के ग्राग्रह से किया गया प्रतीत होता है 1 (३) कहीं-कहीं पर्यायवाची देने के साथ, वीच-वीच में, वस्तु की विशेषताओं गौर प्रयोग आदि को बर्णन करके भी श्रपनी विशेष जानकारी को प्रदर्शित करने का अयत्न किया है । 'सूपूर' के पर्याय गिनाते समय उससे वरीर में हर्य संचरित होने वाली चिशेषता की सुचना भी दी है? श्रौर नागरवेंल' के पर्यायवाची थब्दी के साथ उसके प्रयोग को जिक्र भी किया है ।* इसी प्रकार के कितने ही उदाहरण कोर्ठकों में लिये हुए मिलेंगे । (व) विह्वान कडियों ने कई शब्दों की परिभाष। तक देने का प्रयतत किया है । जैसे, प्रात को नर-भाषा, सागवी को लाग-भापा, संस्कृत को सुरनभाषा श्र पिसाची को राक्षमों की भाषा कह कर समभाने का प्रयत्न किया है 1 * (५) ऐसे दाव्दों को भी किसी शब्द के पययि के रूप में स्थान दे दिया गया हैं जो कि सही भ्रथ में ठीक पर्याय न होकर कुछ भिन्न अर्थ व्यंजित करने की भी क्षमता रखते हैं । जेंसे स्नेह के लिए 'संतोप” तथा “मुख श्रादि का प्रयोग 1* इस प्रकार की उदारता थोड़ी -वहुत सभी कोपों में चरती गई है | (६) जैसा कि पहले संकेत कर दिया गया है, कई कवियों ने श्रपनी चतुराई से भी चव्द गढे हैं जो बड़े ही उपयुक्त जँचते हैं । जैसे--ऊँट के लिए “फीणुनाखतो ” तथा शभ्रर्जुन के लिए “मरदां-मरद' दाव्द का प्रयोग किया यया है, पर ये दाव्द प्राचीन डिंगल कथिता में उपरोक्त भ्रर्थ में प्रयुक्त नहीं हुए । इस प्रकार शव्द-रचला की स्वतस्त्रता बहुत कम स्थानीं पर ही देखने में आती है । (७) कई स्थानों पर तो शब्दों के पर्यायचाची न रख कर केवल तत्सम्वन्धी वस्तुद्रों की नामाचली मात्र दी गई है । उदाहरणारथ--सताईस गेक्षय नाम शीर्पक के अंतर्गत २७ नक्षत्रों के नाम गिना दिये गये हैं, जोकि सत्ताईम नक्षत्र के प्यथिवाची नहीं कहे जा सकते । इसी प्रकार चौईम अवतार लॉम , सात्तघातरा नाम १, बार रासांरा नाम * आ्रादि के सम्बत्थ में भी यही युक्ति काम में ली गई है । १ डिगल नॉमनमाकाननपूष् २०, छेद ८. २ डिगलन-कोप . >्पू० १७५, छंद ८१. उ श्वधान-माछा-नपूर १३४, छुंदे ४८५. ४ अवधान-साछाननपुर रैवर, छंद ५५६, ४ ग्रवंधान-माछाजपूर २३१, छुद ६०, < हमीर नॉमि-्माछा-नपूष ६९, छंद २०१. उ नागराज डडिगलनकोप--पू० रेस, छंद ४. र हसीर नॉम-मादा-नपुर 2५, छंद १२४. * अयवान-मात्दानपृष १३०, छंद अड, दर, ४०, दंग, १८ संबसान-साहा-नपुण १३०, छुंदे दर, बडे, दीदी, य # » पपूल १३१, छंद द५६. दे डक के नकल श्द् श् ्ध्द दर,




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