डिंगल कोष | Dingal Kosh
श्रेणी : भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
384
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डिंगल - कोप श्ध
(२) कई स्थानों में पर्यीयवानी झव्दों का रुप एकबचनात्मक से बहुवचलात्सक वर
दिया गया है । जप, तलवार के लिये-करवांगा, करवाठां _श्रादि * घोड़े के लिये--हयां, रेवेतां,
साकुरां, ग्स्सों, जंग्मी, प्मंगां, मैवरां श्रादि ।* यह केवल मात्रा्ों की पूर्ति के लिये तथा लुक
के ग्राग्रह से किया गया प्रतीत होता है 1
(३) कहीं-कहीं पर्यायवाची देने के साथ, वीच-वीच में, वस्तु की विशेषताओं गौर
प्रयोग आदि को बर्णन करके भी श्रपनी विशेष जानकारी को प्रदर्शित करने का अयत्न
किया है । 'सूपूर' के पर्याय गिनाते समय उससे वरीर में हर्य संचरित होने वाली चिशेषता
की सुचना भी दी है? श्रौर नागरवेंल' के पर्यायवाची थब्दी के साथ उसके प्रयोग को जिक्र
भी किया है ।* इसी प्रकार के कितने ही उदाहरण कोर्ठकों में लिये हुए मिलेंगे ।
(व) विह्वान कडियों ने कई शब्दों की परिभाष। तक देने का प्रयतत किया है । जैसे,
प्रात को नर-भाषा, सागवी को लाग-भापा, संस्कृत को सुरनभाषा श्र पिसाची को राक्षमों की
भाषा कह कर समभाने का प्रयत्न किया है 1 *
(५) ऐसे दाव्दों को भी किसी शब्द के पययि के रूप में स्थान दे दिया गया हैं जो
कि सही भ्रथ में ठीक पर्याय न होकर कुछ भिन्न अर्थ व्यंजित करने की भी क्षमता रखते हैं ।
जेंसे स्नेह के लिए 'संतोप” तथा “मुख श्रादि का प्रयोग 1* इस प्रकार की उदारता थोड़ी -वहुत
सभी कोपों में चरती गई है |
(६) जैसा कि पहले संकेत कर दिया गया है, कई कवियों ने श्रपनी चतुराई से भी
चव्द गढे हैं जो बड़े ही उपयुक्त जँचते हैं । जैसे--ऊँट के लिए “फीणुनाखतो ” तथा शभ्रर्जुन के
लिए “मरदां-मरद' दाव्द का प्रयोग किया यया है, पर ये दाव्द प्राचीन डिंगल कथिता में
उपरोक्त भ्रर्थ में प्रयुक्त नहीं हुए । इस प्रकार शव्द-रचला की स्वतस्त्रता बहुत कम स्थानीं
पर ही देखने में आती है ।
(७) कई स्थानों पर तो शब्दों के पर्यायचाची न रख कर केवल तत्सम्वन्धी वस्तुद्रों की
नामाचली मात्र दी गई है । उदाहरणारथ--सताईस गेक्षय नाम शीर्पक के अंतर्गत २७ नक्षत्रों
के नाम गिना दिये गये हैं, जोकि सत्ताईम नक्षत्र के प्यथिवाची नहीं कहे जा सकते ।
इसी प्रकार चौईम अवतार लॉम , सात्तघातरा नाम १, बार रासांरा नाम * आ्रादि के सम्बत्थ
में भी यही युक्ति काम में ली गई है ।
१ डिगल नॉमनमाकाननपूष् २०, छेद ८.
२ डिगलन-कोप . >्पू० १७५, छंद ८१.
उ श्वधान-माछा-नपूर १३४, छुंदे ४८५.
४ अवधान-साछाननपुर रैवर, छंद ५५६,
४ ग्रवंधान-माछाजपूर २३१, छुद ६०,
< हमीर नॉमि-्माछा-नपूष ६९, छंद २०१.
उ नागराज डडिगलनकोप--पू० रेस, छंद ४.
र हसीर नॉम-मादा-नपुर 2५, छंद १२४.
* अयवान-मात्दानपृष १३०, छंद अड, दर, ४०, दंग,
१८ संबसान-साहा-नपुण १३०, छुंदे दर, बडे, दीदी,
य # » पपूल १३१, छंद द५६.
दे डक के नकल श्द् श् ्ध्द दर,
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