राजस्थान और नेहरू परिवार | Rajasthan Aur Nehru Parivar

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Rajasthan Aur Nehru Parivar by मोतीलाल नेहरु - Motilal Nehru

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कृति-वन्दन रह जिस प्रकार राजस्थान के आदर्स चरित्रों ने मध्यकाल में किया था । प्रत्येक स्थिति और परिस्थिति में इस परिवार ने राष्ट्रीयता की दीपशिखा को न वुभने देने का संकल्य अपनी आत्माहुति के द्वारा श्रज्ज्वलित और प्रकाशित किया है । भविष्य को वोक वर्तमान से बड़ा होता है । यह परिवार भविष्य द्रष्टा और आगम का विधायक भी रहा है। इसलिए इस परिवार के लोग देश में आदर के साथ स्मरण किये जाते हैं और ऐमी आस्था इस परिवार में लोगों की होती है जैसी आस्था इतिहास के पृष्ठों में समवेत जनमानस ने शायद ही कभी किया हो । इस परिवार का सम्बन्ध करमीर, दिल्‍ली और उत्तर प्रदेश आदि से जग-जाहिर है किन्तु राजस्थान की भूमि से भी इस कुल के लोक वन्दित महापुरुष पं ० मोतीताल, जवाहरलाल जी और श्रीमती इन्दिरा गांधी का अटूट सम्बन्ध रहा है । जवाहरलाल' जी की पत्नी कमला नेहरू जी का वह नहर रहा है। यह बात जनमानस को पता नहीं है। मोतीलाल जी का वचपन व प्रारम्भिक दिक्षा खेतड़ी में हुई और खेतड़ी की कर्मभूमि से वे उजागर हुए । वीर प्रसूता राजस्थानी दूध मोतीलाल जो की रगों में था जो नेहरुओं के स्वाभिमान स्वतन्त्रता, उत्सर्ग और संरचना की कहानी की ऊर्जा के रूप में वन्दित और प्रतिष्ठित है। यह पक्ष विलुप्त-सा था क्योंकि १५८५७ की महाक्रान्ति में नेहरू परिवार से सम्बद्ध कागज-पत्र लुप्त हो गये थे । उस.सम्बन्ध की खोई कड़ी को पूज्य शर्मा जी ने प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया है । इसमें आधुनिक इतिहास के ज्ञानी इतिहासकारों को भी ऐसी सामग्री मिलेगी जिसका मान परम महत्व का होगा । इस पुस्तक में पं ० कावरमल्ल जी ने नेहरू परिवार का राजस्थान से कया सम्बन्ध रहा है, मोतीलाल जी से लेकर इन्दिरा जी तक का इससे क्या नाता-रिद्ता रहा है, बताया है । यद्यपि नेहरू परिवार सारे देश का और अनेक अर्थों में पीड़ित मानव का है तो भी सबका होने के लिए किन सोपानों ने इन्हें रास्ता दिया है, उनका भी इसमें बोध होता है । ऐसी महिमामयी कृति का जिसका आज के भारत के इतिहास में अपने गुण धर्म के कारण




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