रामावतार | Ramavatar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)त््रों अथ वीसवाँ राम अवतार कथनं
॥ चौंपाई ॥
अथ मैं कहो राम अवतारा । जैस जगत मो करा पसारा।
बहुतु काल वीतत *यो जब । असुरन वस प्रगट भ्यो तवे 1 १ ॥
असुर लगे बहु करे विखाधा । किनहूँ न तिनै तनक मे साधा ।
सकल देव इकठे तव भए । छीर समुद्र जहू थो तिह् गए ॥ २ ॥
बहु चिरवसत भए तिहू ढामा । विशन सहित ब्रहमा जिह नामा ।
वार वार ही दुखत्त पुकारत । कान परी कल के छूनि भारत ॥ ३ 1
॥ तोटक छद ॥
विशनादक देव लगे बिमन ।
ग़िद हास करी कर काल घुन ।
अवतार घरों रघुनाथ हर।
चिर राज करो सुख सो अवध ॥ ४ ॥।
विशनेश धुण सुण व्रहम मुख ।
अब सुद् चली रघुबस कथ।|
जुर्प छोर कथा कवि याह रे ।
इन वातन को इक ग्रथ वह ॥ ४५ ॥
तिहते कही योरिऐ वीन कथा ।
बलि त्वै उपजी बुध मद्धि जथा।
जह भूलि भई हम ते लहियो।
सु कबो तह अच्छू वना कहियों !। ६ 1
श | राभावतार
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