रामावतार | Ramavatar

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Ramavatar by गोविन्द सिंह - Govind singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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त््रों अथ वीसवाँ राम अवतार कथनं ॥ चौंपाई ॥ अथ मैं कहो राम अवतारा । जैस जगत मो करा पसारा। बहुतु काल वीतत *यो जब । असुरन वस प्रगट भ्यो तवे 1 १ ॥ असुर लगे बहु करे विखाधा । किनहूँ न तिनै तनक मे साधा । सकल देव इकठे तव भए । छीर समुद्र जहू थो तिह्‌ गए ॥ २ ॥ बहु चिरवसत भए तिहू ढामा । विशन सहित ब्रहमा जिह नामा । वार वार ही दुखत्त पुकारत । कान परी कल के छूनि भारत ॥ ३ 1 ॥ तोटक छद ॥ विशनादक देव लगे बिमन । ग़िद हास करी कर काल घुन । अवतार घरों रघुनाथ हर। चिर राज करो सुख सो अवध ॥ ४ ॥। विशनेश धुण सुण व्रहम मुख । अब सुद् चली रघुबस कथ।| जुर्प छोर कथा कवि याह रे । इन वातन को इक ग्रथ वह ॥ ४५ ॥ तिहते कही योरिऐ वीन कथा । बलि त्वै उपजी बुध मद्धि जथा। जह भूलि भई हम ते लहियो। सु कबो तह अच्छू वना कहियों !। ६ 1 श | राभावतार




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