गांवां रो साहित्य | Gavon Ro Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फासयुनशक्ल स मुत्था भाइपद्स्यसिते विनिर्देदयाः
तस्वैद छुष्ण पक्षोद्या वास्तु ये तेडश्वयक दाक्ले ॥
फागण मास र उजात पाख रो गर्भ भादवे श्रुधार
पाख में और श्रंघारे पाख रे गभ रो. जन्म आसोज रे
उजाछे पाख में बताणों जोईजे ।
सैन्नसित पक्ष जाता: फुष्णेडश्व युजस्य बारिदा गर्भा ।
चैत्नासित संभूताः कातिक शुक्लेडमि वर्षत्ति ॥
चेत रे उजाछे पाख रो गर्भ आसोज रे झरंधारे पाख
में जठ देवे है और चेत रे श्रंधारे पाखि रो कांतो रे श्रंधारे
*पाख में 'र्पा करें है--
* पोषे समागेशीरपें सन्ध्या रागोउम्वदा: सपरिवेषाः
नात्यथ सूगदीपें शीत पोवेडति दिसपातः
मिगसर और पो में संज्या री लालो लोयां. चक्क-
रदार वादल होवे तो मिगसर में घणी ठंड श्लोर पो में पाठछो
पड़ने से गे पवंकी को होवे नो ।
साघे प्रबलो वंयुरतुपारछंछुशघुती रविशशाको ।
:' अतिशीतं सघनस्पर च भानोर स्त्योद्यो घन्यो ॥
साहू रे. महीने में 'नदि' लोररी हवा -चाले, सुरज-चांद
भावी रो-साहित्य-मोग पहलड़ो / ५
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