गांवां रो साहित्य | Gavon Ro Sahitya

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Gavon Ro Sahitya by गिरधारी दान - Giradhari Daan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फासयुनशक्ल स मुत्था भाइपद्स्यसिते विनिर्देदयाः तस्वैद छुष्ण पक्षोद्या वास्तु ये तेडश्वयक दाक्ले ॥ फागण मास र उजात पाख रो गर्भ भादवे श्रुधार पाख में और श्रंघारे पाख रे गभ रो. जन्म आसोज रे उजाछे पाख में बताणों जोईजे । सैन्नसित पक्ष जाता: फुष्णेडश्व युजस्य बारिदा गर्भा । चैत्नासित संभूताः कातिक शुक्लेडमि वर्षत्ति ॥ चेत रे उजाछे पाख रो गर्भ आसोज रे झरंधारे पाख में जठ देवे है और चेत रे श्रंधारे पाखि रो कांतो रे श्रंधारे *पाख में 'र्पा करें है-- * पोषे समागेशीरपें सन्ध्या रागोउम्वदा: सपरिवेषाः नात्यथ सूगदीपें शीत पोवेडति दिसपातः मिगसर और पो में संज्या री लालो लोयां. चक्क- रदार वादल होवे तो मिगसर में घणी ठंड श्लोर पो में पाठछो पड़ने से गे पवंकी को होवे नो । साघे प्रबलो वंयुरतुपारछंछुशघुती रविशशाको । :' अतिशीतं सघनस्पर च भानोर स्त्योद्यो घन्यो ॥ साहू रे. महीने में 'नदि' लोररी हवा -चाले, सुरज-चांद भावी रो-साहित्य-मोग पहलड़ो / ५




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