बैंकिंग - विधि एवं व्यवहार | Banking Vidhi Avam Vyavahar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
478
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एच. आर. वर्मा - H. R. Varma
No Information available about एच. आर. वर्मा - H. R. Varma
बी. पी. शर्मा - B. P. Sharma
No Information available about बी. पी. शर्मा - B. P. Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2
नैंकर और ग्राहक के सम्बन्ध
(रिशघ्पणाबांफु फ्लक्त€टाा फिमाडिटा' & (एप्टणाशटा)
ग्राहक की परिभाषा (एलणिप्र०ण 0 5 प5(0त्तल')
भारत, इग्लेण्ड व शन्य देशों के बेकिंग श्रौर परकाम्य संलेख अधिनियम
'ग्राहक' शब्द के बारे में पुरणांतः मौन है । वंघानिक परिभाषाओं के झभाव में बेकिंग के
विद्वानों एवं न्यायाधीशों मे श्रपने-म्रपने दृष्टिकोणों से इस शब्द की व्याख्या करने को
प्रयास किया है । परिणामतः प्रारम्भिक श्रवस्था मे यह शब्द भी 'बेकर' शब्द की भाति
एक विवादास्पद बना रहा ।
प्रचलित मतानुमार उस व्यक्ति या संस्था को एक बेक का प्राहक माना जाता
है जिसका उस बैक मे व्यक्तिगत नाम से खाता होता है । यह खाता चालू, बचत अथवा
स्थाई हो सकता है । न्यायमूर्ति डवे का निणंय इस मत की पुष्टि करता है । उनके अनुसार,
“ग्राहक वह व्यक्ति होता है जिसका किसी बेक मे खाता (चालू या स्थाई) होता हैं
'्रथवा जिसका श्रधघिकोप (9801) से इससे मिलता-जुलता सम्बन्ध होता है 1”
एक श्रन्य न्यायाधीश ने भी श्रपना मत व्यक्त करते हुए यह कहा है कि “बेक
ब प्राहक बनने वाले व्यक्तियों मे किसी प्रकार का खाता होना चाहिए 1”
चालू खाता नकद राशि, चेक झ्रथवा श्रधिविक्ष (0४८१0198) से खुलवाया
जा सकता है 1 धनादेश (८८५०८) से खाता खोलने पर झधिकोप को झपने ग्राहक के
कपटपूणं व्यवहार के दुष्परिशामो को सहन करना पड़ता है किन्तु यह बाधा सम्बन्धित
व्यक्ति के ग्राहक बनने में ब।घक नही होती है ।
स्थाई निक्षेप वाला व्यक्ति भी ध्धिकोप का प्राइक माना जाता है 1 स्थाई
निक्षेप स्वीकार करते समय सामान्यत. झधिकोप घन जमा करवाने वाले व्यक्ति का परिचय
नहीं करवाते हैं । अतः ऐसे ग्राहक के कपटपूरणं व्यवहार करने पर (चको के संग्रहण पर)
सम्बन्धित झधिकोप को इस प्रकार के दुष्परिणामों थे बचने के लिए सर्वघानिक संरक्षण
प्राप्त नहीं होता है। बचत खाते वाले प्राहको की भी यही स्थिति होने से बेकर को
सर्वधानिक सरक्षण नहीं मिल पाता 1
ग्राहक होने की झमिवार्य थातं
(ए55ट्पांबा (०ाएंपंणा5 0 06००प्रा६ 3 एण5101)
ग्राहक कहलाने के लिए दो शर्तों की पूति होना भ्रनिवाय है :--
1... प्र वेस्टनें रेत्वे बनाम लन्दन एण्ड काउण्टी वेक विवाद, 1901
2. मंध्युज बनाम विलियम्स म्राउन एण्ड कम्पनी । '
3. प्र बेस्टनें रेलवे बनाम सन्दन एण्ड काउण्टी देक विधाद, 19011
User Reviews
No Reviews | Add Yours...