संयम और संतति - नियमन | Sanyam Aur Santati Niyaman

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Sanyam Aur Santati Niyaman by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मौतिगाझके मार्ग पर हु भर खींच कर ले था रही हैं। बहू भडिप्य कया है? उस मिप्य्म प्रकाश मौर प्रयति सौस्वर्य मौर अप्पार्म-पक्तिका बिक्रास है मा लपभो- गति और अवक्ताए, मौपणता और नित्य मतूष्ठ रइनेबाली पाप्नविकता है? पहुचके किस्दी कइ़बे कानूमोंके लिछाफ बिद्ोह किया जाम तो उसके दितकारी परिषामंक्रि किए भाषी प्रजा सदा बितोहू करनवाल अपन पूर्वजोंका बामार मानती हैं। परन्तु यह अप्टाधार तो ऐसा विद्रोह है जिससे ममुप्यक भीवर छिपे जुए पाएबिक बिक्रार फिरसे जापत होते है आौर बहु पथुताके जिद रच मये सावदयक तिर्मजणोकों तोड़ा चाइता है। यह बिदोहू कही समाजकी सुरक्षितता तथा जीवतका ताए करतबाला दुप्ट बिदाह ठा गो! माँ ब्यूरो प्रबछ प्रमाण दंकर यह बलाते है कि पह बिद्ोह दूसरे प्रकारका हामिकर बिजोह है जो जौवतका सर्वनाए करने पर तुला हुआ हूं। चिवाहित स्त्री-पुरप मारम-सयमक्ता पालन करके सबासकिति सल्तागछो मर्मादित रलनका प्रयतन करे यह एक थात ६ भौर बे विपयए भोयकी आसगाकों तृप्त करके बिपय सोगके परिलामोकों रोकतेके लिए हृषिम साधनों वारा सस्तति-तियमन करें यह पूसरी बाठ हैं। पहुढी स्थितिमें दोनों पक्षोको हर प्रकारसें राम हो धाम है श्र कि ढूसरी स्थितिम हानिक सिवा अर्प कोई परिणाम ही नहीं माता । में म्पूरोन आाकड़ शऔौर कोप्टक देकर यह सिद्ध कर दिया है कि बिपय मोग मगते हुए भौ डिपय-मोगके स्वामाहिक परिणासौकों रौफनेबासे साधनोंफ्ि उपयागप केब्त पैरिसमें हो तही परन्तु समस्त फास्समें मृत्पुक्णी अपंधा जस्पकी संक्या अतिए्प घट पयी है। फास्सके ८७ प्रास्तॉमें सै ६८ प्रात्तोंमें जर्मकौ सकया मृत्पुकी सस्पासे कम है। लॉट सामक्र प्रान्तमें १. ज्मेंकति पीछ १५६ मृत्युएं दर्ज कौ मई थी । १९ प्रात्त एसे हैं ला मृत्युकी संक्पास जस्मसकी स्पा अधिक है। फिर भी जस्म और मृत्यु इुलिकि बौचर्ष बतर हो अधिकतर प्रास्तोन धहुत मामूली ही है। केदस ?. प्रात्तामें यह अम्तर किसी अपामें उस्केशनोद कहा जायया । मां. स्पूरो बताये ई कि शावारीका दिव-मठिहित होनेदाछा पद गाए जिसे थे आाहमइत्या कहते है--अमी ठऋ जारी हो है। इसके बाद थे पत्येक प्राम्की स्विलिकी




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