ग्रिम की कहानियाँ | Grim Ki Kahaniyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
227
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बोतल में बन्द प्रत
लेकिन लड़के ने श्राराम नहीं किया । वह अपनी
रोटी खाता हुमा जंगल में जाकर चिड़ियों के घोसलों को
देखता फिरा । वह एक बलूत के पेड़ के पास पहुँचा जो
पाँच श्रादमियों के बराबर ऊँचा था । वह खड़ा हो कर पेड़
को देखने लगा । वह सोच रहा था कि इसकी बड़ी-बड़ी
गाखाश्रों में चिड़ियों के कितने घोसलें होंगे । एकाएक उसे
लगा कि पेड़ में से भ्रावाज़ आरा रही है, “मुझे निकालो, मुझे
निकालो 1 ' लड़के ने चारों श्रोर देखा, लेकिन कोई भी
दिखाई नहीं दिया । श्रावाज फिर सुनाई दी, इस बार
वह जमीन में से भ्राती जान पड़ रही थी ।
उसने भ्राइचये से पूछा, “कहाँ हो तुम ?' श्रावाज़ ने
उत्तर दिया, “में बलत के पेड़ की जड़ में हूँ. . . . । निकालो
मुझे !' लड़के ने जमीन पर फली जड़ों की श्रोर देखा ।
दो मोटी-मोटी पुरानी जड़ों के बीच में एक मटमंली बोतल
अप्रटकी दिखाई दी । उसने बोतल को खींच कर निकाला ।
उस पर जब रोशनी पड़ी, तो दिखाई दिया कि उसके भीतर
एक छोटे जानवर-सी कोई चीज़ ऊपर-नीचे उछल-कद रही
है। बोतल के अ्रन्दर से फिर श्रावाज श्राई-- निकालो मुझे,
निकालो मुझे ! ' लड़के ने इस बात का विचार किये बिना कि
मुझे कोई हानि हो सकती है, बोतल को खोल डाला । उसमें
कि का रण कक
बन द
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