जीवन ज्योति | Jeevan Jyoti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सुषारथिरश्चानिव यन्मनुष्यान्
लेनीयते 5 भीषुभिवाजिन इव ।
हुलतिष्ठं यदजिरं जवि्ठं
तनमे मनः छिव संकल्पमस्तु ॥
यजु० ३४.१०६
श्रच्छा सारथी जिस प्रकार वेगवान घोडो को वागों से पकड कर
चलाये जाता है, उसी प्रकार जो मनुष्यों को लगातार चलाता रहता है
जो हृदय मे रहने वाला, वडा फुर्तीला श्रौर सर्वाधिक वेग वाला है, वह
मेरा मन शुभ सकल्पों वाला हो,
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