इंदिरा गाँधी अनछुए प्रसंग | Indra Gandhi Anchuye Prasang

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Indra Gandhi Anchuye Prasang by शीला झुनझुनवाला

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शीला झुनझुनवाला - Sheela Jhunjhunwala

Add Infomation AboutSheela Jhunjhunwala

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
8 इंदिरा गांधी देखा बल्कि उनके साथ आनंद महल में एक नहीं अनेक अविस्मरणी क्षण बिताए। इन महान नेताओं की बातें वे ध्यान से सुनती रहतीं थीं। बड़ी -बड़ी बातें करते थे वे। हर बात देश और स्वतंत्रता से जुड़ी हुई। हर बात क्रांति का शंखनाद करती हुई। हर बात किसी श्लोक की तरह पवित्र और मन की तरह अमोल। आनंद महल में खानदानी शानोशौकत और भोग- विलास की वस्तुओं की कमी न थी। दादा और पिता किसी राजा की तरह वैभवशाली रहे थे। स्वतंत्रता के संघर्ष में कूदकर उन्होंने सब कुछ त्यागकर एक तपस्वी जीवन का आरंभ कर दिया था। इंदिरा ने भी देखा सब पर चाहा केवल स्वतंत्रता को । सुभाषचन्द्र बोस खान अब्दुल गृफफार खाँ सरोजिनी नायडू आदि के जीवन का भी उन पर बहुत असर हुआ। उनकी सादगी और सरलता ने भी इंदिरा को बहुत प्रभावित किया। उससे कहीं ज्यादा प्रभावित हुआ उनका बालमन उनकी निर्णयशक्ति से उनके साहसी और जुझारू व्यक्तित्व से। यह साँचा था जिसमें इंदिरा का बचपन ढला। इस साँचे से धीमे-धीमे जिस इंदिरा का व्यक्तित्व बना उसी की देन थी- वानर सेना । संगठन शक्ति इंदिरा गांधी में बचपन से ही थी। इसका प्रमाण उनकी कम आय में वानर सेना का गठन है। इस वानर सेना ने स्वतंत्रता के आन्दोलन में आश्चर्यजनक काम किया। वानर सेना के छोटे-छोटे बच्चे बिल्कल सैनिक अनुशासन से बँधघे हुए थे। वे स्वतंत्रता आन्दोलन के नेताओं को जहाँ-तहाँ समाचार पहुँचाने पुलिस की गतिविधियों की खबर देने के आलावा सावधान भी रखा करते थे। यह वानर सेना कांग्रेस के अधिवेशनों में भी सक़िय भाग लिया करती । भोजन परोसने से लेकर पंडाल की व्यवस्था देखने जगह-जगह लोगों की सेवा करने आन्दोलन के दौरान घायल हो जाने वाले अहिंसक




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now