आलोचना कुसुमांजलि | Alochana Kusumanjali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
310
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महात्मा कबीर
(इ) वठार--परसुराम छत्री नहिं मारा
ई. छल. माया... कीन्हा. !
'. दी झ के छ्
सिरजनहार स॒ व्याद्दी सीता;
जल पखान नहिं वाँधा ।
११
:' : पर्डित उयोध्यासिंद उपाध्याय ने कुल ऐसे भी उदाहरण
दिये हैं जिनमें अवतार को माना गया है ।
जाति-पाँति और छुआछूत के खण्डन में उन पर सुसलमानी
प्रभाव भी चाहे दो किन्तु समता-भाव में सिद्धों और गोरखपन्थियों
द्वारा आया हुआ वौद्ध-मत का प्रभाव है ।
'समत्ता-भाव--:' ः
गुप्त प्रकट है एके मुद्रा । काकों कहिए न्राह्मन शुद्रा 1।
झूठ गरव भूलें मत कोई । हिन्दू तुरक झूठ कुल दोई ॥।
जो तुम न्राह्मन त्राह्ननि जाए। और राह तुम काहे न आए ॥।
कक कक
एक बिन्दु ते सष्रि रच्यो को न्नाह्मण को शूद्रा
ईडवर सम्चन्वी सुसलमानी प्रभाव
'क--तासु बदन की कौन महिसा कही; भासती देह अति नूर छाई ।.
सून्य के वीच में विमल वेठक जहाँ सहज अस्थान है गंव केरा ॥।
छोड़ि नासूत मलकूत जवरूत को, और लाहूत दाहून वाजी ।
जाब जाहूंत में खुद खार्धिद जद: दी मंककान साकेत साजी 1]
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