आलोचना कुसुमांजलि | Alochana Kusumanjali

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Alochana Kusumanjali by गुलाब राय - Gulab Raay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महात्मा कबीर (इ) वठार--परसुराम छत्री नहिं मारा ई. छल. माया... कीन्हा. ! '. दी झ के छ् सिरजनहार स॒ व्याद्दी सीता; जल पखान नहिं वाँधा । ११ :' : पर्डित उयोध्यासिंद उपाध्याय ने कुल ऐसे भी उदाहरण दिये हैं जिनमें अवतार को माना गया है । जाति-पाँति और छुआछूत के खण्डन में उन पर सुसलमानी प्रभाव भी चाहे दो किन्तु समता-भाव में सिद्धों और गोरखपन्थियों द्वारा आया हुआ वौद्ध-मत का प्रभाव है । 'समत्ता-भाव--:' ः गुप्त प्रकट है एके मुद्रा । काकों कहिए न्राह्मन शुद्रा 1। झूठ गरव भूलें मत कोई । हिन्दू तुरक झूठ कुल दोई ॥। जो तुम न्राह्मन त्राह्ननि जाए। और राह तुम काहे न आए ॥। कक कक एक बिन्दु ते सष्रि रच्यो को न्नाह्मण को शूद्रा ईडवर सम्चन्वी सुसलमानी प्रभाव 'क--तासु बदन की कौन महिसा कही; भासती देह अति नूर छाई ।. सून्य के वीच में विमल वेठक जहाँ सहज अस्थान है गंव केरा ॥। छोड़ि नासूत मलकूत जवरूत को, और लाहूत दाहून वाजी । जाब जाहूंत में खुद खार्धिद जद: दी मंककान साकेत साजी 1] के .. के ' , ही...




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