राजर्षि ध्रुव। | rajrsi dhruv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)_ ४ रानी खुनीतिका निवासन ।
इ--बान्सन्स उर्दू दूद्ुदद्धुन-छीाज
किन ,
दि ख़ूपिश मणम कर, रानीकी प्रसंशा करते हुए
उ्ेफन्याकी . खोजमें चढे। वह जानते थे, कि
रानी खुनीतिकी साक्ा कोई राठ नहीं सकता । अतः उन्दोंने
ख़ुदचि नामकी सत्यन्त रूपचती और उत्तम कुललकी पक
कन्या मति परिधम्रवे खोज निकाली और उस्तीके साथ राजा
उत्तानपादने शुभ लय तया शुभ मुह॒त्त॑में विवाद किया ।
चिवाहके दिन राज-सवनकी शोभा मतीच मनोदर दो रही
थी | राज-मवचनमें हीरा तथा यहसूल्य जवादिरातोंसे यिना
रोशनीके ही उजियाला हो रद्दा था । भवनका ऊपरवाला
भाग नाना स्ड्लुके चिन्रोंसे चिचित था 1
_ इस नयी रानीका रूप छावप्य जो कोई देखता था, चही
चिस्मित होकर कहता था, कि निःसन्देदद यदद कोई स्वर्ग की
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