चतुभीनी | Chatubhiinii
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
49
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है
इत्य॑ च मदनशरसन्तापककशों बढवानयसृतु: यदेवदत्ता सु
रतसुप्रतिविहित योच नो त्सवस्थ कर्णीपुत्रस्योन्मुच्य मानव भावयाँव ना
ब्तारकोमलां. मदनमरिकां देवसनाचूतयष्टिमातिठंघयते मदन
भ्रमर; । अथवा किमिव कर्णीपुत्रस्यातिक्रमिष्यति | समधुसपिंष्कं हि
परमन्नं सोपदंशमास्वाध तर भवाति, अतः शक देवदत्तायुरतमधघुपानों -
पदंशभूत॑ चण्डछिकाश्रयं बाछभावानिसपस्कृतोपचारहसित ढछितर-
पर्णीयं दारिकासुन्दरीरतिरसान्तरमपि प्राथयत इति ॥
अद्दों नु खदबयं छघुरूपोडपि बलवान मदनव्याधि!, येना-
[कशास्त्राधिगतानिष्पन्दचुद्धे: सत्र क डाज्ञानवि वश्चणों व्युत्पन्नयुवति
गमतन्व्सूचधार: कर्गीपुसोड पिनामेतामजस्थामुपर्नात: | से हि--
उल्लिद्राधिकतान्तताब्रन यनः परत्यूषचन्द्राननों
ध्यानदयानतनुविंज मणपरः सन्तप्रसर्वेन्द्रिय: |
रम्पैथ्वन्द्रबसस्तमार्पर चनायान्थवंगन्थादिपि!
येरेव अमुखागने: सरपने तेरेव सन्तप्यने ॥
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अथवा देवसेनामुद्श्येति सेतदाश्वयेमू | कुत। सहाप्यपमन्म-
प्रनोरधक्षेत्र दि सा दारिका | अईयस्या रूपयोबनवण्य कर्मी पुत्र
न्माद जनयितुमू । तस्था हि--
विश्रान्तेक्षणमश्नतोष्ठरुचकं प्राचानगण्ड मुखे
प्रयग्रोत्पतितस्तनाइकुरमुरो बाहू लताकोमलो |
अव्यक्तोत्थितरोमरेखमुदरं श्रोणी कुतों5प्यागता
मावधानिशूत खभावमपुर के नाम नोन्मारयेत् १ ॥
(परिक्रम्य)
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