रामायण | ramayan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
35
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्ह४ रामायलस्य बालकाण्ड
दिव्य दुन्दु लिनिधोंषे गीत वादिच लिःख्वने । ३० ॥
नठतुश्ापर: सच्चा गस्धवाय जगु: कलम ।
विवाहे रघुमुख्यानां तदडडतमद्वत ॥ ३८ ॥
इेदशे वत्तमाने तु तूर्यो निनादिते ।
ब्विरम्नि ते परिक्रस्य ऊद्दर्भायया मोजस: ॥ ३८ ॥
अधोपकार्य जग्मस्ते सभाय्यां रघनन्दना: ।
राजाप्यनुयथी पश्यन् सरपिसस: सबान्धव: ॥ ४० ॥
इत्यार्ष श्रौमदात्मी कीये रामायण आदिकाव्य वालकाण्डे
जिसप्ततितम: सग: ॥ ७३ ॥
चतु:सप्तततम: स०.: ।
लि लनताजकात
अथ रात्रयां व्यतोयायां विश्वामित्रो महासुनि: ।
भरा तौ च राजानो जगा मात्तरपबव्चेतम् ॥ १ ॥
विशवामित्रे गते राजा वेटेह मिधिलाध्रिपम् ।
एव जगामाश राजा दशरथ: पुरीम् ॥ २ ॥
ऋषीं बाप प्रदक्षिद्व कर्व ति शेष यधाक न शाखोक्त न प्रकारेण विवाह ता,
कता शंष॑ इमादि। ३६ । ३७। ः
तद्ह,त दुन्द निरनिर्धाधादिसदितपुष्पहश्चादि । ८ ।
वृद्यादयां यद्इर घोषसतब्विनादिते काले चिरप्रिमित्य पसहारेण पुनर्वाद ॥३०
उपकार्या शिविर पश्यन् वधूवरसब्बन्धकल्याणम् ॥ ४० ॥
इति शौरामालिराम शौरामौये रामायणतिलके वाल्मीकौय आदिकाध्य बाख काले
चिसप्ततितम' सगे: ॥ ७३ ॥
औआपहा आएच्छा तो दशरथयजनको उज्ञरपबंतं कोशिकोतटावच्छिशल । १ ।
ज्नाम मन्वुसुथयतो;भूत् । २ ॥
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