सुबह होने तक | Subah Hone Tak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
141
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मैं समझ गया उन्होने जरूर मुझे खोजा होगा । मैं चुप रहा ।
--साफ-साफ़ बताओ । नही तो हड्डी तोड़के रख दूंगा ।
मैं फिर भी चप रहा तो उन्होने एक झापड मेरे दिया । मैं
रोया नही ।
कम्पनी बाग नहीं गये थे तुम * उन्हीने पूछा ।
नए्गया था। मैने स्वीकार किया ।
क्या करने ?
दर्शन करने ।
-ए दर्शन करने ? किसके दर्शन करने ?
-एएक बाबा जी आये है वहाँ ।
असलियत मे उन दिनो वहाँ कोई श्रदूधानन्द या ऐसे ही कोई नन्द-
मार्का बडे महात्मा आये हुए थे ।. गोमती के किनारे उनका मडप बना
था । कोई बडा हवन आदि हो रहा था जिसमें हजारों लोग शामिल
होते थे ।. महात्माजी की सवारी निकलती थी । सोने से जड़ तख्त
पर जिसे चार आदमी अपने कधे पर उठाकर चलते थे, वह निकलते थे ।
बगल मे दो व्यक्ति चाँदी का मोरछल लेकर चलते थे। यह सब मैंने
सुन रखा था |
किसके साथ गये थे * पिता का गुस्सा कुछ कम हुआ ।
-मोहत्ले के और लड़के थे । मैंने कहा ।
-पघर में कट्कर क्यो नहीं गये ?
मैं चुप रहा ।
पिता शान्त हो गये । बल्कि माँ उनपर बिंगड़ने भी लगी कि
बिना पूछे-जॉँचे मार-पीट करने लगे हो ।. महात्माजी के दर्शन करने चला
गया तो इसमे क्या बुरी बात हो गयी ।
मैं बाल-बाल बच गया, नहीं तो वाकई उस दिन मेरी हड़डी
सलामत न रहती ।
20 सुबह होने तक
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