उसके नाम पर | Uske Naam Par

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ई. ई. हेल - E. E. Hel

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सिद्धिनाथ चौबे - Siddhinath Chaube

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९१ ) उतरते हुए यह सोचा करती कि हर एक मजुष्य और . प्रत्येक वस्तु मुझे प्यार करती है। यह बात सत्य भी थी 1 उसका विचार था कि उसी के लिये ईएवर के राउय की. सृष्टि हुई है और इस्स में स्वर्म की साँति उसी की इच्छा की पूर्ति होगी । घर लौटते समय उस सयानक दूश्य की. छाया जो उसने भक्त... 'सामस के गिरजे में चिंतित देखी थी उसके. मस्तिष्क से. बिल्कुल दूर हो गई थी । ही खुले हुए गिरजे के पास से होकर फूलीची नीचे. उतरी । मिरजे के ढार पर बहुत से शिलुक बैठे रहते थे । उन्हें. देख : कर फूलीची कहती, “ईश्वर की दया तुम पर हो ।” सिद्ुऋ भी उसे आशीर्वाद देते थे फिर बह सठ की दीवारों के पास से हो कर नीचे उतरने लगी शौर उसे श्राश्चर्य हु कि... _ कया. भीतर की बारियाँ संसार के बहिर्माग की आधी थी खुन्दर नहीं हो सकतीं । आओइ ! कया दी अच्छा होता. कि यहाँ की बहिंनें घंटे घर पर चढ़ कर पूर्वीय छिंतिज की श्र देखतीं जहाँ उसका. प्राचीन मित्र था श्औौर यदद जानती शिव अपने नुरागियोँ का कितना बड़ा मित्र है। वह अपने पूरब परिचित रेंढ़े मेढ़े मागें से जो उसके तथा पाचंतीय बकर्यों के _.खिया और किसी को ज्ञात न थे उतरी । श्रतप्ब सूर्यास्त से : .. पूंबे ही उसने पीरे ज्लुलाहें के नमस्कार का उत्तर खिर दिला कर दिया । श्र कुछ देर रुक कर रानेर नामक रंगरेज से बात .: चीत की. तथा नवयुवक स्टीफन के जुड़बें ( यमज ) * बच्चों को




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