श्रावकाचार संग्रह (भाग ३ ) | Sravkachar Sangrah Vol 3

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Sravkachar Sangrah Vol 3 (1977) Ac 6781 by प. हीरालाल शास्त्री - Pt. Heeralal Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है आावकाचार-संप्रह ः प्रस्तुत भागके सम्पादनमें प्रत्थ-मालाके प्रधान सम्यादक श्रीमानू पं० केलाशचन्द्रजी सिद्धान्ताचायं, बाराणसीका भर-पूर परामर्द-सहयोग रहा हैं। श्री पं० महादेवजी व्याकरणाचायं- ने पूब॑बत्‌ ही प्रूफ-संदोधन किया है और वर्घमान मुद्रणालयमें इसका मुद्रण हुआ है, इसलिए में सबका आगारी हूं । अन्तमें संस्थाके मानद मंत्री श्रीमानु सेठ बालचन्द्र देवचन्द्र दाह्ाका किन दाब्दोंमें आभार व्यक्त करू जो कि इस जीवराज प्रस्थमाछाके सिवाय अन्य अनेक संस्थाओंका संचालन ८४ वर्ष की अवस्थामें भी नौजवानोंके समान स्फूतिके साथ कर रहे हैं। उनके प्रोत्साहन-भरे पत्रोंसे मुझे सदा ही प्र रणा मिलती रहती है । ऐ० पन्‍्नालाल दि. जैन -रहीरालाल सिद्धान्तशास्त्री सरस्वती भवन, ब्यावर रे५ | ७] ७७




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