दानसागर | Daansagar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
280
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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न्दोफ्दानावत: 2
बराद्वपुराण (2100050 016 &2पाट 85 २० जा रख-सडेक) 1
'दीपन्रदानेन जय तिं लभन्ते खुलेन तेजः खुक्कमारताश” ।
'प्राणद्यू तिं” ल्िर्थत्ताघापि तेले-“ब्रंशेनामारसलूतसाश्न ॥<॥
मन्दिपुराशे +--
याम्य॑ तमोमयं घोर॑ “घन हुग' महदामयम् ।
'त्रजन्ति ते च सुखिनो ये केचिहीपदायिनः ॥१०॥
अथ दीोपदानपरिभाषा ।
महदाभारते :--
इविषा प्रथम: कल्पो द्वितीयश्रौषधघी >( ।
वसामेदो इस्थि-' नियोसैन कार्य पुष्टिमिच्छता* ॥११॥
विष्रुधरमेत्तिरे :--
घ्ृतेन दीपा दातव्या तेलेवां यदुनन्दन ।
वसामजादिमिदेंथा न तु दीपा: कथश्वन ॥१२॥।
*दत्त्वा दीप॑ न कतंव्यं तेन कर्म विजानता ।
निर्वापणश्र दीपस्य हिंसनश्व विगहितम्ू ॥१३॥।
यः कुर्यात्तानि”” कमाशि स्यादसौ पुष्पितैक्षणः ।
दीपहत्ता भवेदन्घः काणों निवापको '' भवेत् ।
दोपस्य दानात् पर' दानं न भूतं न भविष्यति ॥१४॥।
अथ दानम् ।
याज्ञवर्क्यः (१1२१०) :--
भूदो पाश्चान्न' “-वख्ाम्भस्तिलसपिं:प्रतिश्रयान् ।
नेवेशिकसस ण-[घुयोन दत्त्वा खर्गो ]'* महीयते ॥१४॥
व, 0, दोपप्रदाने दुप्रगति सभते 8 1. 0, ० भिच्छत
1. 0, स्वगमावभाआऋ 9 1.0
2.0. खिर्धततसभ 10 1, 0, कुय्याीतल, # कुर्ष्यासन
पं, 0, ०इरेण० 11 1. 0, नि्दोंयक्षो
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1, 0. ब्रजरते तेन 13 4. 0, चूपान् ्लगचेलो 107 ६306
& मजादय 101 निरयासर ए18०१४९०६९० फणपंडणा
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