क्रांति कैसे हो | Kranti Kaise Ho

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्रांति कंसे हो 7 लगी करते रहेंगे, तमी जनता भागे बढेगी कुछ करने की बात सोचेगी । परन्तु निराशा के घने अन्थकार में डबी हुई तढ़पन भी मश्ञप्य को आगे नहीं बढ़ाती । घगाल के लाखों किसान 'दाय अन्न हाय भन्न कर मर गये, इन्होंने दल बाथ कर सरकारी दफ्तरों पर दमला नहीं किया । क्यों ? विश्वास को कमी ! इनके हुदय से यह विश्वास मिट चुका था कि हम लड़ कर अपनी रोटी हासिल कर सकते हैं । इसलिये क्रातिकारी के लिये यह आवश्यक दो जाता दै कि वदद जनता के हृदय से निराशा का कुद्दासा मिंटाकर, आशा की किरणों को जगमगा दे । यह तभी सम्भव है जब दम किसानों और मजदूरों का संगठन कर पहले उनकी छोटी छोटी लड़ाइयाँ ले भर उन्हें उनवी शक्ति का शान करावें, उनमें वर्ग भावना भीर चेतना जायत करें। याद रदे रोजमरी को लवाईयों के दम्योन दी बगे-भावना जायृत दोती है ; विचारों में काति दोती है । इस तरह जब जनता क्रातिकारी विचारों से ध्रभावित भौर जातिकारी इच्छाओं से प्रेरित दोती है, तभी उसे कार्य के मैदान में, ६




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