जमीं का बटवारा और श्री विनोबा का भूमिदान याग | Jamin Ka Batvara Aur Shri Vinoba Ka Bhumidan Yag
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जमीन का बंटवारा
जमीनें को श्राबादी में लाये बिना इल नहीं हो सती । श्रावश्यकता ने
श्रन्य देशों को मी ज्यादा जमीन खेती में लाने के लिये मजदूर किया
है। नीचे उन प्रमुख देशों का चाम श्रीर पूरे छेत्रफल की प्रदिशत
* श्रावादी का श्रंक दिया जा रहा है, जिन्हें ऐसा करना पड रहा दि:
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युद्ध काल में ब्रिटेन को मी भूमि सेना द्वारा सभी परती जमीनों
को श्राबादी में लाना पड़ा था । करीब ४० लाख एकड़ नई जमीन
वे इस तर श्राबाद कर सके थे । गह्ले की कमी मारव को डालर श्रोर
पाउणड चंत्र से खाद्यान श्रायात करने को मजबूर करदी हे । जिव्से
इमाग श्रस्तरी्रिय श्रार्थिक शोत सूख जाता है श्रीर दम श्रोद्योगिक
' विकाष्ठ के लिये सशीन वा श्रन्य छावश्यक सामान नहीं संगा सकते |
“बढ़ी चादाद में नई जमीनें को द्रात्रादी में लाने का खर्च
श्ौर पूंजी की श्रावश्यकठा बहुव बड़ी मालूम पड़ी है । बहुत से
व्यक्ति इस मार को उठा साकना श्रसम्मव मान सकते हैं, क्योक्ति न ठी
मारे पास ट्रॉकटर, घुलटोजर वगेरद हैं, न इम उन्दें वाइर से उयादा
- चादाद मैं मंगा सकते हें श्रौीर न उन्ई बनाने का. सघन दी
इमसारे पाप है। इसलिये खेविदर पलट ' को जो मी साघन मिले
उसीका सद्दारा लेना दोगा । कारख ने जैठा मी श्रौजार मना सके
उन्हें बनाकर किसानों को देना चाहिये। यदद हर्म कइने की थावश्यकता
नहीं कि लोड के कारखानों के सामने पदली जिम्मेदारी खेती के श्राँजारों
( ९३). . '
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