गली रा लाडैसर | Gali Ra Ladesar

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Gali Ra Ladesar by अब्दुल कमल - Abdul Kamal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कम्मू रो एड़ी वातां सुणा'र दौनू भी उदास होयग्यो । पण, कम्मू ने उस बंघावतां घकों वे यो,'वावद्ा एड़ी वातां नीं कर। थारा तीन भाई-वैन पेला ई मरग्वा । भ्रबे तू एक ई तो धारें बाप रो वेडी है । श्र, जे तु लेने काई-किसी कर लेपरसी तो थार बाप रो तो बस ई टूब जासी। न्हारो ' केवे है क मैटे यू बस चाले है श्र बाप रो नाम चाल है था परण बिचाले ई कम्पू बोल पड़ यो, ' दीन, म्हारों म्रव्चा भो श्राप रो म चलावण खसातर कठई पोपढ रो पेड लगा ले पसी। पं, जियां लाभु रो म वोत्यो जावे है दियां ई पीरु रो पीपद्ध वोन्यो जासी । मर दस सु रे श्रब्दा रो नाम चालती रेसी ।'' दीनू, वम्मू री वात कोनो मानी । वो दीनू ने समसायों, “सुर हे नू, जरठ मांई-मां टुबे है । चठे सगे टावर सार्ध एऐडी दाता ई हुवे है । रात भी म्हारी माँ मने पेया ही । पछे, थारी श्म्सा जद यू थार लारे श्राई है । तने तो दुख देयती रयी है । सर, दूला है सामे थारें मु डी हेत रासण रो नाटक करती रंयी है । यंत्र टरप दात से सगद्धा श्राद्ध रयां सू जाणे है । के वा कितोक भूठी है * झर वितोए साचो है * थी दी में हां दूणा इग् सखातर मिला है बद्ं के वा नागी राड है । कम्सू भट सू दोनू रे सु डे मार्व हाथ राख र दोन्यो, “सी, टोन, नो। ण ने रांड नी बोल । वा स्हारो मा सो टोइ भाई है । पटें उग्य ने मा मान हूँ । म्ट उण रो घणाो ईदाइर बाके मा । मं गे सी सर 0 नए” शक शफदियदलनालपलाणणत तिलक एफ: कनयवनयननन, न शक कट” कर राटुकज है शू




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